अनिल चौहान बने देश के नए CDS

भारत सरकार ने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को नया चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किया है। वे सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद से CDS का पद खाली था। चौहान देश के दूसरे CDS होंगे।लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान पूर्वी कमान के ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रह चुके हैं। उन्होंने 1 सितंबर 2019 को यह पद संभाला था। वे भारतीय सेना के DGMO रह चुके हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 1981 से 2021 तक सेना में विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुके हैं।

पिछले साल हेलिकॉप्टर क्रैश में हुआ था जनरल बिपिन रावत का निधन

तमिलनाडु के कुन्नूर में 1 दिसंबर 2021 को दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर जलरल विपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया था। 8 दिसंबर 2021 को जनरल बिपिन रावत की मौत की खबर ऑफिशियल हुई थी। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, यानी CDS थे। उसमें जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 लोग सवार थे। इस हादसे में 14 लोगों की मौत हुई थी।

क्या होता है CDS?

देश का चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, इंडियन आर्म्ड फोर्सेज का मिलिट्री प्रमुख और इंडियन आर्म्ड फोर्सेज की चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी का चेयरमैन होता है।चीफ ऑफ डिफेंस एक चार-स्टार जनरल होता है। CDS रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाए गए नए विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का प्रमुख होता है।

रक्षा मंत्रालय में पहले से ही चार विभाग थे- डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन, डिपार्टमेंट ऑफ एक्स सर्विसमेन वेलफेयर और डीआरडीओ, अब पांचवें नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का प्रमुख चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को बनाया गया है।सीडीएस की नियुक्ति आर्म्ड फोर्सेज के बीच आवश्यक तालमेल लाने के लिए हुई है। इसका उद्देश्य सेना में जॉइंटमैनशिप को बढ़ाना है, जिससे संसाधनों की बर्बादी और निर्णय लेने में होने वाली देरी को रोका जा सके।

 चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ CDS की भूमिका क्या होती है ?

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में काम करता है। CDS भले ही तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय को सलाह देता है, लेकिन अब भी तीनों सेनाओं-आर्मी, नेवी और एयरफोर्स-के प्रमुख ही उनकी संबंधित सेवाओं से जुड़े मामलों में सलाह देते हैं।मतलब, CDS, तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर काम करता है, लेकिन वह तीनों में से किसी सेना का प्रमुख नहीं होता है, बल्कि इसके लिए इन तीनों सेनाओं के प्रमुख ही अपनी-अपनी सेना की कमान संभालते हैं।

भारत एक न्यूक्लियर वेपन से संपन्न देश है, ऐसे में CDS न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के लिए सैन्य सलाहकार के तौर पर भी काम करता है, इस कमांड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।भारत ने 2008 में सेना, अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच बेहतर तालमेल के लिए अपने एयरोस्पेस कमांड (द इंटीग्रेटेड स्पेस सेल) का गठन किया था। CDS के पास इस साइबर वारफेयर डिविजन का भी चार्ज है।

CDS का काम अनुमानित बजट के आधार पर तीनों सेवाओं की लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ कैपिटल एक्विजिशन की जरूरतों को सुव्यवस्थित करने में मदद करना है।पहले के चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (COSC), (जोकि तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे सीनियर बनता था) के उलट CDS के पास शासनात्मक शक्तियां हैं।

कैसे हुआ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का गठन?

1999 में कारगिल युद्ध के तुरंत बाद इस बात की समीक्षा के लिए कृष्णास्वामी सुब्रह्मण्यम (Krishnaswami Subrahmanyam) के नेतृत्व में कारगिल रिव्यू कमिटी (KRC) का गठन किया गया था कि वे कौन सी कमियां थी जिनकी वजह से पाकिस्तानी सेना को रणनीतिक महत्व वाली जगहों पर कब्जा करने का मौका मिला।कारगिल रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट फरवरी 2020 में संसद में पेश की गई थी। इसमें कारगिल युद्ध के दौरान शुरुआत में सुस्त भारतीय प्रतिक्रिया, और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों का सुझाव दिया था।

इस कमिटी की सिफारिशों के बाद 2001 में गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह (GoM) ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CSS) की नियुक्ति की सिफारिश की थी।लेकिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति अगले दो दशक तक अलग-अलग वजहों से नहीं हो सकी। आखिरकार 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाए जाने की घोषणा की।

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