73 साल बाद भारत ने बैडमिंटन में रचा इतिहास, पहली बार जीता थॉमस कप

बैंकॉक- भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम ने थॉमस कप का गोल्ड मेडल जीत लिया है। उसने खिताबी मुकाबले में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराया। वह टूर्नामेंट के 73 साल के इतिहास में पहली बार फाइनल खेल रहा था। बेस्ट ऑफ 5 फॉर्मेट के इस मुकाबले को भारत ने 3-0 से अपने नाम किया। भारत ने सिंगल्स, डबल्स के बाद दूसरा सिंगल्स भी अपने नाम कर लिया। इसमें किंदांबी श्रीकांत ने जोनाथन क्रिस्टी को 21-15, 23-21 से हराया।

पहला गेम हारने के बाद चिराग-सात्विक साई राज ने जीता डबल्स मैच

इससे पहले फाइनल के दूसरे मुकाबले में सिंगल्स जीतने बाद डबल्स मैच जीता। चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रंकीरेड्डी की भारतीय जोड़ी ने पहला गेम गंवाया फिर दूसरा और तीसरा गेम जीत मुकाबला अपने नाम किया।

डबल्स के पहले गेम में चिराग शेट्टी और सात्विक को हार मिली। इंडोनेशिया की मोहम्मद अहसन और केविन संजया सुकामुलजो की जोड़ी ने गेम (सेट) को 17 मिनट में 21-18 से अपने नाम किया। वहीं चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रंकीरेड्डी ने दूसरे गेम में वापसी करते हुए मोहम्मद अहसन और केविन संजया सुकामुलजो की जोड़ी को 23-21 से हरा कर गेम में पहले बराबरी की और उसके बाद तीसरा गेम 21-19 से जीत कर यह मैच अपने नाम कर लिया।

पहला सिंगल्स लक्ष्य सेन ने जीता
पहले सिंगल्स में लक्ष्य सेन ने एंथोनी सिनिसुका गिनटिंग को 8-21, 21-17, 21-16 से हराया। पहले गेम में लक्ष्य को एंथोनी सिनिसुका गिनटिंग से 8-21 से हार का सामना करना पड़ा। एक समय मुकाबला 8-7 पर था, लेकिन इसके बाद एंथोनी ने लगातार 12 पॉइंट बनाकर लक्ष्य को पूरी तरह मुकाबले से बाहर कर दिया। उन्होंने सिर्फ 16 मिनट में गेम को अपने नाम करके बढ़त बनाई।

वहीं उसके बाद लक्ष्य ने शानदार वापसी करते हुए दूसरा गेम अपने नाम कर लिया है। उन्हें इसमें 21-17 से जीत मिली। उसके बाद तीसरे गेम को भी 21-16 से जीत कर भारत को 1-0 से बढ़त दिलाई।

लक्ष्य सेन को एंथोनी सिनिसुका गिनटिंग को 8-21, 21-17, 21-16 से हरा कर पहला सिंगल्स जीता

सेमीफाइनल में चोटिल होने के बाद भी एचएस प्रणय ने दिलाई थी जीत
भारत के एचएस प्रणय चोटिल होने के बाद भी सेमीफाइनल में कोर्ट पर उतरे और टीम को जीत दिलाई। डेनमार्क के खिलाफ सेमीफाइनल में पहले चार मैचों के बाद दोनों टीमें 2-2 की बराबरी पर थीं। आखिरी मैच में भारत के एचएस प्रणय के सामने डेनमार्क की ओर से रासमुस गेमके थे। प्रणय ने यह मैच 1 घंटा, 13 मिनट में 13-21, 21-9, 21-12 से अपने नाम किया।

फाइनल तक के सफर में केवल एक टीम से हारी टीम इंडिया

थॉमस कप में फाइनल तक सफर भारत का शानदार रहा है। भारतीय टीम को फाइनल तक के सफर में ग्रुप स्टेज मैच में एकमात्र शिकस्त चीनी ताइपे के खिलाफ मिली थी। भारतीय टीम ने ग्रुप स्टेज मैच में जर्मनी को 5-0 से, कनाडा को 5-0 से हराया। वहीं चीनी ताइपे से 2-3 से हार का सामना करना पड़ा। क्वार्टर फाइनल में 5 बार की विजेता मलेशिया को हराया, तो सेमीफाइनल में सबसे ज्यादा 32 बार फाइनल स्टेज खेलने वाली डेनमार्क जैसी टीम को हराया। डेनमार्क 2016 की विजेता टीम है।

फाइनल मैच के लिए भारतीय स्क्वॉड-

सिंगल्स: लक्ष्य सेन, किदांबी श्रीकांत, एचएस प्रणय, प्रियांशु राजावती, डबल्स: सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी-चिराग शेट्टी, विष्णुवर्धन गौड़ पंजाला-कृष्ण प्रसाद गारगा, एमआर अर्जुन-ध्रुव कपिला

थॉमस कप पहली बार 1948-49 में हुई

थॉमस कप को आयोजित करने का विचार अंग्रेज बैडमिंटन खिलाड़ी सर जॉर्ज एलन थॉमस का था। वह 1900 के दशक की शुरुआत में एक बेहद सफल बैडमिंटन खिलाड़ी थे। वह फुटबॉल वर्ल्ड कप और टेनिस के डेविस कप की तर्ज पर बैडमिंटन में भी पुरुषों के लिए इस तरह टूर्नामेंट का आयोजन करना चाहते थे। पहली बार 1948-49 में इंग्लिश जमीं पर इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

दो साल पर होता है टूर्नामेंट का आयोजन

थॉमस कप को पहले तीन साल पर आयोजित किया जाता था, लेकिन 1982 में हुए फॉर्मेट में बदलाव के बाद यह दो साल पर आयोजित किया जाने लगा है। थॉमस कप को पुरुषों का वर्ल्ड टीम चैम्पियनशिप भी कहा जाता है।

इंडोनेशिया ने सबसे ज्यादा बार खिताब जीता है

इस साल थॉमस कप का 32वां सीजन है। अब तक केवल पांच देश ही विजेता बन सके हैं। इंडोनेशिया थॉमस कप की सबसे सफल टीम है। अब तक 14 बार खिताब पर कब्जा जमाया है। वहीं 1982 से इस टूर्नामेंट में भाग ले रही चीनी टीम ने 10 और मलेशिया ने 5 खिताब जीते हैं। जापान और डेनमार्क दोनों के पास एक-एक खिताब है। थॉमस कप हमेशा एशियाई देशों ने जीता। 2016 में डेनमार्क यह खिताब जीतने वाली पहली गैर एशियाई टीम थी।

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