नई दील्ली – ‘सरकार वेंटिलेटर, हॉस्पिटल, ऑक्सीजन, बेड, बिल्डिंग सब कुछ पैसे देकर खरीद सकते हैं, लेकिन डॉक्टर्स पैसे देकर एक झटके में नहीं खरीदे जा सकते। एक रेसिडेंट डॉक्टर तैयार होने में एक दशक लगता है। जो 700-800 डॉक्टर पॉजिटिव हुए हैं मैं भी उनमें से ही एक डॉक्टर हूं। हमें सिर्फ 7 दिन का ही क्वारैंटाइन दिया गया है, उसके बाद बिना किसी टेस्ट के ड्यूटी जॉइन करने की सलाह दी जा रही है। हेल्थकेयर सिस्टम तभी मजबूत होगा जब डॉक्टर खुद स्वस्थ होंगे।’ ये दर्द है दिल्ली के ESI हॉस्पिटल के रेसिडेंट डॉक्टर रोहन कृष्णन का।
रोहन फिलहाल कोविड पॉजिटिव हैं और रोहन की तरह ही दिल्ली के हॉस्पिटल में डॉक्टर्स के बीच तेजी से कोविड संक्रमण फैल रहा है। दिल्ली के प्रमुख 5 हॉस्पिटल्स के ही करीब 800 से ज्यादा डॉक्टर कोविड पॉजिटिव हो गए हैं। पॉजिटिव डॉक्टर्स के संपर्क में आए डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ भी आइसोलेशन में हैं। बड़ी तादाद में पॉजिटिव हो रहे हेल्थकेयर वर्कर्स की वजह से हेल्थ सिस्टम पर बुरा असर पड़ा है। हॉस्पिटल में रूटीन चेकअप, OPD और गैरजरूरी सर्जरी को रोक दिया गया है। ये संख्या सिर्फ कोविड पॉजिटिव रेसिडेंट डॉक्टर की ही है, अगर फैकल्टी, पैरामेडिकल स्टाफ को जोड़ लें तो ये आंकड़ा बहुत बड़ा हो जाएगा।
हॉस्पिटल्स में सबसे बुरा हाल है एम्स दिल्ली का। सूत्रों ने बताया है कि एम्स में काम करने वाले करीब 350 रेसिडेंट डॉक्टर कोविड पॉजिटिव हो गए हैं।