कालीचरण महाराज को कैसे गीरफ्तार किया और कोर्ट में क्या हुआ पूरे घटनाक्रम की वह जानकारी जो आप तक नही पहुची..

दिव्य हिन्दी NEWS टीम की मध्यप्रदेश के खाजुराओ और छतीसगढ़ के रायपुर से ग्राउंड रिपोर्ट….

रायपुर – रायपुर धर्म संसद में दिए बयान के विरोध में उन पर मुकदमा दर्ज किया गया और कालीचरण महाराज तक पहुचने के लिए 62 घंटे तक ऑपरेशन चला। दरअसल कालीचरण महाराज को पकड़ने के लिए पुलिस को उनका भक्त बनना पड़ा। जब पुलिस ने उनके पीए से कहा कि महाराज के दर्शन करने हैं, तो उसने कहा कि अभी नहीं मिल सकते, एक लाख वेटिंग चल रही है। इसके बाद पुलिस ने कहा कि बहुत दूर से आए हैं, टिकट है, वापस जाना है, तब जाकर दर्शन की इजाजत मिली  अब पढ़े की उस रात हुआ क्या ……

वो 62 घंटे पहले….

पुलिस की इन्वेस्टिगेशन रविवार रात करीब 12 बजे टिकरापारा थाने में अपराध दर्ज होने के बाद से शुरू हो गई। पुलिस की टीम सबसे पहले टिकरापारा के पुजारी पार्क पहुंची। आयोजन समिति ने कालीचरण महाराज को वहीं ठहराया था। वहां महाराज नही थे । पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि वह शाम को 7 बजे के बाद से ही वहां नहीं आये है। पुलिस को कुछ लोगों ने बताया की वह किसी कार से महाराष्ट्र रवाना हुए। हैं। इस बीच राजनीतिक बवाल मच चुका था। आईजी आनंद छाबड़ा ने स्थिति भांपते हुए आधी रात ही आनन-फानन में बैठक बुलायी।

बड़े अधिकारियों ने एक टीम को बुलाकर पूरे ऑपरेशन की प्लानिंग की। वहीं तय किया गया कि कैसे कालीचरण महाराज तक पहुंचना है और किस तरह सावधानी से गिरफ्तार कर लाना है। इस बीच आधी रात को ही कालीचरण महाराज का रेलवे स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे का फुटेज मिल गया था। ये भी पता चल गया था कि महाराज मध्यप्रदेश जाने वाली ट्रेन में बैठकर रवाना हुए है। सोमवार तड़के एक टीम भोपाल रवाना कर दी गई। इस बीच तकनीकी टीम ने महाराज के दोनों साथियों और पीए का मोबाइल नंबर हासिल कर लोकेशन निकाल लिया था। कालीचरण महाराज का मोबाइल भले ही बंद था, लेकिन पीए ने अपने मोबाइल का स्विच ऑफ नहीं किया था। उसके मोबाइल का लोकेशन भी भोपाल ही मिला था। भोपाल रेलवे स्टेशन पर पूछताछ के दौरान ये पता चला कि महाराज ने एक टैक्सी बुक की थी। पुलिस की टीम ने टैक्सी चालक की खोजबीन शुरू कर दी थी । अगले दिन टैक्सी ड्राइवर पुलिस को मिल गया। उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, बाद में उसने स्वीकार किया कि उसने कालीचरण महाराज को अपनी गाड़ी में बिठाया था। पुलिस उसी के साथ वहां खजुराहो के पास बागेश्वर धाम के पास स्थित पल्लवी लॉज लेकर पहुंची.। वहां वे नहीं थे। पूछताछ करने पर पता चला कि उन्होंने अपना पहला वीडियो वहीं से डाउनलोड कर सोशल मीडिया में  डालाथा।

इस लॉज से पकड़ा गया कालीचरण।पल्लवी लॉज पहुंचने के बाद पुलिस फिर खाली हाथ हो गई। इसी बीच कालीचरण महाराज के पीए के मोबाइल का वहीं बागेश्वर धाम के आस-पास लोकेशन मिला। पुलिस के अफसरों को अनुमान हो गया कि महाराज वहीं आस-पास है। पुलिस के जवान भक्त बनकर बागेश्वर धाम पहुंचे। वहां पहुंचकर जवानों ने बताया कि वे बाहर से आए हैं। उन्हें बाबा से मिलना है। फिरे पढ़े क्या हुआ ……

पुलिस भक्त बनकर बोली – दर्शन चाहिए…फिर क्या हुआ 

आश्रम में बताया गया कि वे बाहर हैं, लेकिन अगर आ भी गए तो वे तुरंत उनसे नहीं मिल सकेंगे। उन्हें मिलने के लिए 1 लाख से ज्यादा की वेटिंग है। पुलिस अफसरों को आभास हो गया था कि कालीचरण महाराज अभी आश्रम में नहीं है, लेकिन यहीं कहीं आस-पास ही है। मोबाइल लोकेशन की छानबीन के दौरान बुधवार को एक मकान का पता चला। लोकेशन से कंफर्म हो गया कि एक न एक बार मोबाइल इस मकान में चालू हुआ था। पुलिस के जवान वहां भी भक्त बनकर पहुंच गए। जवानों ने उनसे कालीचरण महाराज के बारे में पूछा। वहां पता चला उनका सामान रखा है, लेकिन वे नहीं हैं। जवानों ने मकान मालिक से आग्रह किया कि वे उन्हें भी एक कमरा एक रात के लिए दे दें। वे बड़ी दूर से आए हैं। मकान के कमरे एक तरह से गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए मकान मालिक ने पुलिस के जवानों को कमरा दे दिया। दो जवान उसी कमरे में ठहर गए। वे रात दो बजे तक जागते रहे, लेकिन कालीचरण महाराज या उनका पीए नहीं आया। मप्र में डेरा डालकर बैठी टीम यहां के आला अफसरों से सीधे टच में थी। अफसर एक-एक गतिविधियों की मॉनीटरिंग कर रहे थे। वहां क्या हो रहा है? पल पल की खबर ली जा रही थी। सुबह तक इंतजार नहीं  करना जोखिम भरा था।एमपी की लोकल पुलिस।

इसलिए करीब रात 2 बजे के बाद आला अफसरों ने रिस्क उठाने का फैसला किया। उन्होंने जवानों को निर्देश दिया कि वे उस मकान मालिक को उठाकर पूछें कि कालीचरण महाराज अब तक क्यों नहीं आये। पुलिस के जवानों ने मकान मालिक को बहाने से उठाया और कहा कि उन्हें इमरजेंसी आ गई है। जल्दी घर लौटना है, बाबा कहां हैं बताओ, हम मिलकर अभी घर रवाना होंगे। मकान मालिक ने उन्हें बताया कि यही करीब 2 किलोमीटर दूर महाराज ने एक और कमरा किराए पर लिया है। अभी वे वहीं हो सकते हैं। पुलिस की टीम उसी के साथ वहां पहुंची। आस-पास मौजूद पूरी टीम को वहीं बुलवा लिया गया। पूरे मकान को घेरकर सावधानी से द्वार खुलवाया गया। जैसे ही दरवाजा खुला, पूरी टीम भीतर घुस गई। कालीचरण महाराज अपने पीए के साथ वहीं मौजूद थे। पुलिस ने वहीं से उन्हें गिरफ्तार किया और उसी समय रायपुर के लिए रवाना हो गइ।

जाने कोर्ट में क्या हुआ…..

अब कालीचरण से होगी पूछताछ।

रायपुर पुलिस ने 1 जनवरी तक कालीचरण महाराज की रिमांड मांगी थी। जिसे कोर्ट ने मान लिया। कोर्ट के अंदर 4-5 वकीलों ने कालीचरण की ओर से पक्ष रखा और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट और कई राज्यों की हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराया।

जिला न्यायालय में जस्टिस चेतना ठाकुर की कोर्ट में पेश किया गया था। बड़ी संख्या में लोग कोर्ट परिसर में मौजूद रहे। इस दौरान कालीचरण महाराज के समर्थन में जय श्री राम और गोडसे जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। लगभग 500 पुलिसकर्मी और अलग-अलग थानों के प्रभारी डीएसपी रैंक के अफसर कोर्ट परिसर की सुरक्षा में तैनात रहे।

धर्म संसद में दिए गए विवादित बयानों को देखकर पहले धारा 294, 505(2) के तहत मामला दर्ज हुआ था। अब धारा 153 A (1)(A), 153 B (1)(A), 295 A ,505(1)(B) , 124A इन धाराओं को भी जोड़ा गया है।

मध्य प्रदेश के मंत्री बोले- एक्शन की जानकारी MP पुलिस की देनी चाहिए थी
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर ऐतराज जताया है। उन्होंने ट्वीट किया- छत्तीसगढ़ पुलिस को अपने एक्शन की जानकारी मध्यप्रदेश पुलिस को देनी चाहिए थी। इससे इंटरस्टेट प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है। मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ पुलिस से आपत्ति दर्ज कराएंगे।

जब कोर्ट में गर्माया माहौल
कोर्ट रूम में वकीलों ने बहस करते हुए कालीचरण महाराज को आतंकवादी तक कह दिया, इसका बाकी वकीलों ने जमकर विरोध किया। वकीलों के बीच गहमा-गहमी का माहौल हो गया। बाहर महाराज के समर्थक और कई भाजपा नेता नारेबाजी कर रहे थे। अब अगली सुनवाई 1 जनवरी को फिर से होगी. वही देश के कोने कोने से महाराज के समर्थक और कइ हिन्दू सगठन उनके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे है और वही सेकड़ो समर्थक रायपुर की और कुच कर रहे है…

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