बायोमेट्रिक पहचान के बिना सिम नहीं मिलेगी, जरूरत पड़ने पर मैसेजेज इंटरसेप्ट कर सकेगी सरकार

नई दिल्ली- नए टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद अब यह कानून बन गया है। अब टेलीकम्युनिकेशन कानून उस तारीख से लागू होगा जब केंद्र सरकार ऑफिशियल गजट में नोटिफिकेशन जारी करेगी। यह 20 दिसंबर को लोकसभा और 21 दिसंबर को राज्यसभा में पास हुआ था।टेलीकम्युनिकेशन कानून में फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। कानून में टेलीकॉम कंपनियों को उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक पहचान करने को कहा गया है।यह कानून सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से किसी भी टेलीकॉम सर्विस या नेटवर्क के टेक ओवर, मैनेजमेंट या उसे सस्पेंड करने की अनुमति देता है। युद्ध जैसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर सरकार टेलीकॉम नेटवर्क पर मैसेजेज को इंटरसेप्ट कर सकेगी।

लाइसेंसिंग सिस्टम में बदलाव होगा

टेलीकम्युनिकेशन कानून से लाइसेंसिंग सिस्टम में भी बदलाव आएगा। वर्तमान में, सर्विस प्रोवाइडर्स को विभिन्न प्रकार की सर्विसेज के लिए अलग-अलग लाइसेंस, अनुमतियां, अनुमोदन और पंजीकरण लेना पड़ता है। ऐसे 100 से अधिक लाइसेंस या पंजीकरण हैं जो टेलीकॉम डिपार्टमेंट जारी करता है।

एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी कंपनियों को फायदा होगा

बिल में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम के एडमिनिस्ट्रेटिव एलॉकेशन का प्रावधान है, जिससे सर्विसेज की शुरुआत में तेजी आएगी। नए बिल से अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को फायदा होगा। वहीं, जियो को इससे नुकसान हो सकता है।

प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले ग्राहक की सहमति लेनी होगी

इसमें यह भी अनिवार्य किया गया है कि कंज्यूमर्स को गुड्स, सर्विसेज के लिए विज्ञापन और प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले उनकी सहमति लेनी होगी। इसमें यह भी बताया गया है कि टेलीकॉम सर्विसेज देने वाली कंपनी को एक ऑनलाइन मैकेनिज्म बनाना होगा, जिससे यूजर्स अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सके।

वॉट्सएप, सिग्नल आदि को रेगुलेट करने की साफ जानकारी नहीं

बिल के नए वर्जन में ओवर-द-टॉप (ओटीटी) एप्लीकेशन या इंटरनेट-बेस्ड कम्युनिकेशन एप्लीकेशन, जैसे जीमेल, वॉट्सएप, सिग्नल आदि को रेगुलेट करने की साफ तौर पर जानकारी नहीं है। बिल में टेलीकम्युनिकेशन, मैसेजिंग जैसे कीवर्ड की ब्रॉड डेफिनेशन दी गई है।इस कारण विभिन्न हलकों में चिंता है कि सरकार अभी भी ओटीटी और इंटरनेट-बेस्ड कम्युनिकेशन एप्लीकेशन्स को रेगुलेट करने का विकल्प चुन सकती है।

पिछले साल जब टेलीकम्युनिकेशन बिल का ड्राफ्ट पेश किया गया था तो उसमें ओटीटी सर्विसेज भी दायरे में थी। इसे लेकर इंटरनेट कंपनीज और सिविल सोसाइटी ने भारी हंगामा किया था। इसी के बाद OTT को इस बिल से बाहर किया गया है।

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