नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने बाल संरक्षण पर अपने दो दिवसीय राष्ट्रीय हितधारक विचार-विमर्श में पहली बार सांकेतिक भाषा के दुभाषियों का उपयोग किया। साथ ही दृष्टिबाधितों की सहायता के लिए पहली बार कार्यक्रम का निमंत्रण और विवरण ब्रेल लिपि में भी जारी किया गया।
किशोर न्याय और बाल कल्याण पर आयोजित कार्यक्रम संपन्न
किशोर न्याय और बाल कल्याण पर सुप्रीम कोर्ट समिति द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम रविवार को संपन्न हुआ। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिव्यांगों की पहुंच सुनिश्चित करने और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को समझने के उद्देश्य से पिछले वर्ष सुगमता पर एक सुप्रीम कोर्ट समिति का गठन किया था।
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जस्टिस रवींद्र भट ने आरोपित नाबालिगों के संदर्भ में सामूहिक प्रयासों के मूल में बच्चों के सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।बच्चों के लिए न्याय की पहल का मूल विश्वास यह है कि बच्चों में सुधार किया जा सकता है और किया जाना चाहिए। इसलिए सुधार उनके लिए लिए गए सभी निर्णयों का प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिएl
जस्टिस भट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का सामना करने वाला बच्चा, ऐसा बच्चा होता है, जो कठिन परिस्थितियों में रहा है या रह रहा है। इसलिए रोकथाम के दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना जरूरीहै।