सन्यास वैराग के दृढ़ विश्वास के सामने 9 करोड़ के पैकेज को ठुकरा कर 22 वर्ष की कल्याणी बोरा बनी साध्वी

        जलगांव: कम उम्र में, हर कोई अच्छी सरकारी या निजी नौकरी, अच्छे वेतन की उम्मीद करता है। हालांकि, 9 करोड़ रुपये का पैकेज प्राप्त करते हुए उच्च शिक्षित युवती 22 साल की उम्र में साध्वी हो गई। बी.बी.ए. उच्च शिक्षित, समृद्ध जैन परिवार की युवती सभी सुख-सुविधाओं को त्याग मोह माया का परित्याग कर करके दीक्षा ले ली और साध्वी बन गई। जी हां यह कहानी है, कल्याणी बोरा जो अब साध्वी संयम श्रीजी मारा साहेब के नाम से जाने जाते है । पढ़ाई के दौरान, उन्होंने 2013 में एक जैन समाज के समारोह कार्यक्रम में भाग लिया और वहां से उन्होंने फैसला किया कि अब तपस्या का जीवन जीना है. इस के लिए उन्हें अपने परिवार की मंजूरी पाने के लिए निरंतर आठ साल तक इंतजार करना पड़ा।

             दीक्षा बोरा, अपने परिवार की सहमति से आखिरकार 9 दिसंबर, 2019 को 22 साल की उम्र में उपदेश देने के लिए संन्यास ले लिया। कल्याणी बोरा संयम श्रीजी साध्वी ने पुणे से बीबीए से अपनी शिक्षा पूरी की है। कल्याणी बोरा एक राष्ट्रीय मैराथन धावक हैं और पढ़ाई के दौरान, उन्होंने खेल, वाद-विवाद, कला, गायन, बातचीत और अन्य विषयों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की।

    साध्वी संयम श्रीजी यानि कल्याणी बोरा की साध्वी बनने से पहले की जीवन यात्रा भी दिलचस्प है। साध्वी बनने से ठीक पहले उन्हें एक काम करने की अच्छी संधि मिली थी लेकिन वो नहीं जाना चाहती थी। लेकिन कॉलेज के प्रोफेसरों और गुरु महाराज की इच्छा से उनका इंटरव्यू के लिए जाना पडा। जहां पर उनका 5 घंटे तक इंटरव्यू चला जिसमें उनको कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पर्सनालिटी डेवलपमेंट के रूप में एक प्रोफेसर के तौर पर कार्य का ऑफर दिया गया महीने की सैलरी 35 लाख रुपये दी जाए गी एसा उन्हें बताया गया जिसे उन्होंने ठुकरा दिया तो फिर 50 लाख उसे भी ठुकरा दिया अंत में 75 महीने की सैलरी यानी साल के 9 करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर दिया गया उसे भी उन्होंने ठुकरा दिया आगे उन्होंने बताया क्योंकि मुझे सन्यास लेकर साध्वी बनना था
सांसारिक और पारिवारिक सुखों की त्याग करने वाली साध्वी जी का एक अमीर और संपन्न परिवार से एक भाई और एक बहन है। जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं है, यह जानना भी जरूरी है कि आपको क्या खुशी देता है। क्योंकि मुझे गुरु के चरणों में खुशी मिलती है, मैंने अपने गुरु के चरणों में जाने का फैसला किया। नौ करोड़ का आंकड़ा सुनकर हर कोई हैरान है, लेकिन मुझे अभी भी नहीं लगता कि मैंने नौ करोड़ छोड़े हैं। क्या हम अपने से ज्यादा पैसे से खुश हैं? क्या हम अपने जीवन में खुश हैं? उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में पता लगाना चाहिए, पैसा ही सब कुछ नहीं है इंसान की खुशी ही पैसा है

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