वैश्विक स्तर पर गैस की किल्लत
वैश्विक स्तर पर गैस की किल्लत होने से सीएनजी (CNG), पीएनजी (PNG) और बिजली की कीमतें बढ़ जाएंगी.इसके साथ ही वाहन चलाने के साथ फैक्टरियों में उत्पादन की लागत भी बढ़ सकती है. सरकार के फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल (Fertilizer Subsidy Bill) में भी इजाफा हो सकता है. कुल मिलाकर इन सबका असर आम उपभोक्ता पर ही पड़ने वाला है.
मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं
रूस, यूरोप को गैस सप्लाई करने का एक बड़ा स्रोत है, यानी यूक्रेन संकट के कारण उस पर असर पड़ सकता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के प्रकोप से बाहर जरूर निकल रही है. लेकिन दुनियाभर में ऊर्जा की बढ़ती मांग की वजह से इसकी आपूर्ति में कमी आ सकती है. यही वजह है कि गैस की कीमतों में काफी तेजी आई है.
घरेलू कीमतों में बदलाव के बाद दिखेगा असर
यूक्रेन संकट के कारण जंग की स्थिति बनती दिख रही है जिसका असर चौतरफा दिख रहा है. और अब गैस पर भी असर पड़ सकता है. वैश्विक स्तर गैस की कमी का असर अप्रैल से दिखने लगेगा, जब सरकार नेचुरल गैस की घरेलू कीमतों में बदलाव करेगी. एक्स्पर्ट्स के अनुसार, 2.9 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़ाकर 6 से 7 डॉलर किया जा सकता है. रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुताबिक, गहरे समुद्र से निकलने वाली गैस की कीमत 6.13 डॉलर से बढ़कर करीब 10 डॉलर हो जाएगी. कंपनी अगले महीने कुछ गैस की नीलामी करेगी. इसके लिए उसने फ्लोर प्राइज को क्रूड ऑयल से जोड़ा है, जो अभी 14 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है.