दूध हमारे दैनिक आहार का हिस्सा है। दूध को कैल्शियम और प्रोटीन समेत पोषक तत्वों से भरपूर संपूर्ण आहार माना जाता है। दूध का उपयोग हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। लोग दूध पीने के साथ ही चाय-कॉफी, दही-छाछ, शेक-स्मूदी, आइसक्रीम और खीर का भी लुत्फ उठाते हैं, लेकिन अगर दूध शुद्ध नहीं है तो यह लाभ पहुंचाने की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता है।
संपूर्ण आहार कितना शुद्ध?
इकोनॉमिक सर्वे 2021-2022 के मुताबिक, देश में इस साल दूध का उत्पादन बढ़कर 20.996 करोड़ टन पहुंच गया। बावजूद देशवासियों को शुद्ध दूध नहीं मिल पा रहा है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की जांच में प्रोसेस्ड यानी पैकेट बंद दूध के 37.7% सैंपल क्वालिटी स्टैंडर्ड पर फेल हो गए, जबकि नियमानुसार इस दूध का एक भी सैंपल फेल नहीं होना चाहिए। वहीं खुले दूध के भी 47% सैंपल फेल हो गए।
हैरान करने वाली बात यह है कि पैकेटबंद दूध के 10.4% नमूनों में सेफ्टी मानकों का भी उल्लंघन पाया गया। जबकि खुले दूध के मामलों में यह आंकड़ा 4.8% रहा। पैकेट बंद और खुले दूध को मिलाकर कुल 41% नमूने फेल हुए हैं। हालांकि, सर्वे में कहा गया कि देश में 93% दूध पीने लायक है। FSSAI ने यह रिपोर्ट साल 2019 में जारी की थी। इसमें 1,103 शहरों से 6,432 नमूने लिए थे।
प्रोडक्शन कम, फिर कैसे पूरी होती है दूध की डिमांड ज्यादा?
गर्मियों में दूध प्रोडक्शन कम हो जाता है और मांग बढ़ जाती है। डेयरी उद्योग की कई बड़ी कंपनियां रिकंस्टीट्यूट मिल्क बनाती हैं। उन्हें इसकी अनुमति है। इस कारण देश में दूध की किल्लत नहीं होती है। दरअसल, सर्दियों में दूध का प्रोडक्शन अधिक होता है। इस दौरान कंपनियां दूध का स्किम्ड पाउडर तैयार और घी बना लेती हैं, जिससे गर्मियों में रिकंस्टीट्यूट मिल्क बनाना आसान हो जाता है।
दूध में हो सकते हैं ये केमिकल
फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि रिकंस्टीट्यूट मिल्क से डिमांड पूरी हो जाती है, जिससे मिलावट का जोखिम भी कम हुआ है। फिर भी डेयरी उद्योग में शामिल लोग अपने फायदे के लिए डिटर्जेंट, यूरिया, व्हाइट पेंट, स्टार्च, कास्टिक सोडा, रिफाइंड ऑयल, फॉर्मेलिन, अमोनियम सल्फेट, बोरिक एसिड, बेंजोइक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, हाइड्रोजन पराक्साइड और मेलामाइन मिलाकर नकली दूध तैयार करते हैं। यह नकली दूध सेहत के लिए बेहद घातक हो सकता है।
क्यों की जाती है दूध में मिलावट?
चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए छोटे से लेकर बड़े स्तर तक दूध में मिलावट होती है। दूध को गाढ़ा करने, उसकी मात्रा बढ़ाने और उसको कई दिनों तक प्रिजर्व करने के लिए मिलावट की जाती है। दूध को गाढ़ा करने के लिए स्टार्च और व्हाइट पेंट मिलाया जाता है जबकि दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए यूरिया, रिफाइंड, पॉप ऑयल, डिटर्जेंट पाउडर मिलाते हैं। दूध कई दिन तक खराब न हो इसके लिए फॉर्मेलिन, बोरिक एसिड, हाइड्रोजन पराक्साइड और बेंजोइक एसिड जैसे केमिकल मिलाए जाते हैं।
मिलावट का पता कैसे लगाएं?
नकली और असली दूध की पहचान घर पर ही की जा सकती है। फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा बता रहे, घर पर ही मिनटों में ऐसे करें दूध की पहचान…
- कच्चे दूध की घूंट भरें। अगर टेस्ट कड़वा आए तो समझ जाएं कि दूध में मिलावट है। असली दूध में कड़वाहट नहीं होती है।
- दूध को बोतल में भरकर हिलाएं। अगर दूध का झाग जल्दी खत्म न हो तो समझ जाएं कि दूध में केमिकल मिला है। असली दूध का झाग जल्द ही खत्म हो जाता है।
- दूध को हाथ पर रखें, अगर हाथ पर साबुन जैसी चिकनाहट रह जाती है तो समझ जाएं कि दूध में पाम ऑयल, रिफाइंड मिला है।
- दूध को चिकनी सतह पर बहाएं। बहने पर दूध झाग छोड़कर जा रहा है तो समझ जाएं कि इसमें मिलावट की गई है।
- अंगूठे पर दूध की कुछ बूंदें डालें। अगर वो बहता हुआ कोई निशान न छोड़े तो समझ लीजिए कि दूध में पानी मिला हुआ है।
- 5 से 10 मिलीग्राम दूध लें और इतना ही पानी मिला लें। इसे अच्छे से घोलें। अगर दूध पर गाढ़ी और मोटी परत नजर आने लगे तो समझ जाएं कि दूध में डिटर्जेंट पाउडर है।
- 2 से 3 मिलीग्राम दूध को 5 मिलीग्राम पानी के साथ उबाल लें। इसमें 2 से 3 बूंद आयोडीन टिंक्चर डालें। ठंडा करने के लिए छोड़ दें। अगर दूध का रंग नीला हो जाए तो समझ लें स्टार्च मिला है।
- टेस्ट ट्यूब में दूध लेकर 10 बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एक चम्मच शक्कर मिलाएं। पांच मिनट बाद यह लाल हो जाए तो समझ लें कि इनमें वनस्पति ऑयल मिला है।
- 10 मिलीग्राम दूध और 5 मिलीग्राम सल्फ्यूरिक एसिड को मिलाएं। अगर इसमें वॉयलेट/ ब्लू रिंग्स बनती हैं तो इसमें फॉर्मेलिन मिला है।
मिलावट वाला दूध हो सकता है घातक
सीनियर फिजिशियन डॉ. शर्मा का कहना है कि दूध में स्टार्च होने से पेट संबंधी परेशानी हो सकती हैं। यह डायबिटीज मरीजों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। यूरिया के ज्यादा इस्तेमाल से किडनी फेल होने का खतरा है। वहीं फॉर्मेलिन, बोरिक एसिड, हाइड्रोजन पराक्साइड, बेंजोइक एसिड से आंतों में सूजन आ सकती है। इसके इतर दूध में कैल्शियम न होने से हड्डियां भी कमजोर होंगी। रिकंस्टीट्यूट मिल्क नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा, लेकिन इससे पूरा लाभ भी नहीं मिलेगा, क्योंकि इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू कम होती है।