तेलुगू फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ मूल भाषा के साथ ही तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी में रिलीज हो गई है। ‘कार्तिकेय 2’ साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म ‘कार्तिकेय’ का सीक्वल है।मौजूदा दौर के हिंदुस्तान की भावनाओं का उफान समझकर उसी के हिसाब से बन रहे दक्षिण भारतीय सिनेमा में भले इन दिनों फिल्में बनाने के बजट को लेकर तगड़ी बहस चल रही हो, लेकिन वहां की फिल्मों की तरफ हिंदी पट्टी के दर्शक अब भी आशा भरी नजरें लगाए रहते हैं।‘बाहुबली’ सीरीज की फिल्मों के बाद ‘आरआरआर’ की कामयाबी ने अतीत की कहानियों को भारतीय संस्कृति की खुशबू के साथ परोसने का एक नया दौर शुरू किया है और इसी दौर की नई तेलुगू फिल्म है, ‘कार्तिकेय 2’। ये फिल्म अपनी मूल भाषा के साथ ही तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी में भी रिलीज हुई है।
सनातन संस्कृति का गौरवशाली इतिहास
ईष्टदेव के निर्वाण से जुड़ी कथा
‘कार्तिकेय 2’ दरअसल साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म ‘कार्तिकेय’ का सीक्वल है। डॉक्टर कार्तिक भगवान कृष्ण का कड़ा हासिल करके आता है और दुनिया को उसके फायदे बताता है कि किस तरह से आगे आने वाली महामारी को उस कड़े से रोका जा सकता है।यहां इस फिल्म की कहानी खत्म होती है और आगे की कहानी का क्लू छोड़ देती है। इससे समझ में आता है कि इस फिल्म का पार्ट 3 भी बनेगा। फिल्म में कृष्ण का किरदार ग्राफिक्स के जरिये पेश किया गया है। फिल्म में कृष्ण को लेकर तमाम खुलासे हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओँ के अनुसार अपने ईष्टदेव के अवसान की कहानियां सुनाना, पढ़ना या सुनना वर्जित है। इसी के चलते तुलसीदास लिखित रामचरित मानस का आठवां अध्याय यानी लवकुश कांड नहीं पढ़ा जाता है। फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ कृष्ण के अवसान की कहानी कहने में इन वर्जनाओं को तोड़ती है।
फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ में डॉक्टर कार्तिक की भूमिका में निखिल सिद्धार्थ ने निभाई है। हर सीन में उनकी मेहनत साफ झलकती है। फिल्म में बहुत सारे एक्शन सीन भी है, जिसे उन्होंने बखूबी किया है। फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ के निर्माताओँ की साझेदारी में बनी इस फिल्म में अनुपम खेर भी अरसे बाद किसी दक्षिण भारतीय फिल्म में दिखे हैं। अपनी चिर परिचित अदाकारी से अनुपम खेर ने फिर अपना प्रभाव फिल्म के कथानक पर छोड़ा है। वह कहानी के कथन में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं।मुग्घा के किरदार में अनुपमा परमेश्वरन, सदानंद के किरदार में श्रीनिवास रेड्डी, सुलेमान के किरदार में हर्ष चेमूडु और शांतनु के किरदार में आदित्य मेनन का काम सराहनीय है। फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी संतोषजनक काम किया है।
निर्देशक चंदू मोंडेती ने फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ की कहानी भी खुद ही लिखी है। फिल्म का जो विषय उन्होंने चुना है, उसको पूरी तरह से पर्दे पर अच्छे तरीके से पेश करने की कोशिश भी भरपूर की है। इंटरवल के पहले कुछ जगह सीन थोड़े कमजोर लगते है, लेकिन फिल्म की खासियत यह है कि वह अपने विषय से भटके नहीं।इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसकी सिनेमैटोग्राफी है।फिल्म की कहानी जब द्वारकापूरी से वृंदावन होते हुए हिमायल पर पहुंचती तो उस दृश्य को देखते हुए ऐसा महसूस होता है कि दर्शक वाकई हिमालय की खूबसूरत वादियों में पहुंच गए हों। सिनेमैटोग्राफर कार्तिक घट्टामनेनी ने ही इस फिल्म को सम्पादित भी किया है। फिल्म का कमजोर पक्ष है इसका संगीत जो उत्तर भारतीय संवेदनाओं पर खरा नहीं उतरता। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स ध्यान खींचते हैं।
एक घंटे पचास मिनट की फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ में सनातन धर्म को विज्ञान से जोड़कर दिखया गया है। साथ में ये भी बताने की कोशिश की गई है कि आज के युग में भी कृष्ण हमारे लिए कितने उपयोगी है। फिल्म उन्हें एक अच्छे वास्तुशिल्पी और एक बेहतर संगीतकार के तौर पर भी प्रस्तुत करती है। दक्षिण भारतीय सिनेमा में रुचि रखने वालों के लिए य फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ पारिवारिक मनोरंजन का अच्छा माध्यम दिखती है।