भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन कर दिखाया कमाल,रॉकेट इंजनों के लिए हल्का नोजल किया तैयार

बंगलुरु- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नए आयाम स्थापित कर रहा है। अब इसरो ने एक और सफलता पाई है। उसने रॉकेट इंजनों के लिए हल्का नोजल तैयार किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि रॉकेट इंजनों के लिए हल्के कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल के विकास के साथ रॉकेट इंजन प्रौद्योगिकी में बड़ी सफलता हासिल की है, जिससे पेलोड क्षमता बढ़ी है।इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा तैयार किया गया यह रॉकेट इंजन के महत्वपूर्ण मापदंडों को बढ़ाने का दावा करता है। इससे लॉन्च वाहनों की पेलोड क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा। आगे कहा गया कि तिरुवनंतपुरम स्थित वीएसएससी ने कार्बन-कार्बन (सी-सी) कंपोजिट जैसी उन्नत सामग्रियों का लाभ उठाकर नोजल डाइवर्जेंट बनाया।

ऐसे तैयार किया नोजल

ग्रीन कंपोजिट के कार्बोनाइजेशन और उच्च तापमान उपचार जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग करके, इसने कम घनत्व, उच्च विशिष्ट शक्ति और उत्कृष्ट कठोरता के साथ एक नोजल तैयार किया है, जो ऊंचे तापमान पर भी यांत्रिक गुणों को बनाए रखने में सक्षम है।

हमें कौशल विकसित करने की आवश्यकता

इसरो प्रमुख सोमनाथ मंगलवार को 42वीं अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) की उद्घाटन बैठक में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘जब आप भविष्य के अन्वेषण पर विचार कर रहे हों, तो संभवतः पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली और सौर ग्रह अन्वेषण की तरह पृथ्वी की कक्षा से परे जाने के लिए हमें कौशल विकसित करने की आवश्यकता है।

मुझे लगता है कि उन सभी क्षेत्रों में भी भीड़ हो रही है। खासकर चांद के क्षेत्र में। मेरा मानना है कि यह समूह आने वाले दिनों में उस पहलू को और अधिक विस्तार से देखेगा।’इस दौरान इसरो प्रमुख ने एलान किया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक अंतरिक्ष मिशन को मलबा मुक्त बनाना है।

आने वाले दिनों में सभी गतिविधियों को और मजबूत करने की जरूरत

उन्होंने कहा था, ‘2023 तक सभी भारतीय अभिनेताओं, सरकारी और गैर-सरकारी की मदद से अंतरिक्ष मिशन को मलबा मुक्त बनाना है। मलबा पैदा न हो इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत तंत्र और ढांचा बना रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि हम अंतरिक्ष प्रणालियों के भीतर तंत्र और संरचनाएं बना रहे हैं ताकि बड़ी संख्या में मलबा पैदा न हो सके। पिछले कई सालों से बहुत कुछ अच्छा चल रहा है। हमें आने वाले दिनों में इन सभी गतिविधियों को और मजबूत करने की जरूरत है।

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