दिवाली से पहले तेल की कीमत में गिरावट, फटाफट जानें ताजा दाम

Oil Price in India: दिवाली से पहले लोगों को इस बार बड़ी सौगात मिली है. देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सोयाबीन तेल-तिलहन की मजबूती को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों में गिरावट का रुख देखने को मिला. बाजार सूत्रों ने कहा कि ब्राजील में मौसम की स्थिति ठीक न होने के कारण शिकॉगो में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम में पिछले शनिवार को एक प्रतिशत की वृद्धि की गई.

विदेशों में सोयाबीन के दाम भी मजबूत हुए हैं. इन सभी कारणों से सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में बीत सप्ताह सुधार आया. उन्होंने कहा कि अपनी खाद्य तेल जरूरत के लिए लगभग 55 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश भारत में आयातक कांडला बंदरगाह पर आयातित खाद्य तेल (सोयाबीन) को लागत से कम दाम पर बेच रहे हैं.

थोक कीमतों में आई गिरावट

बीते सप्ताह कांडला बंदरगाह पर बायोडीजल बनाने वालों ने दिसंबर अनुबंध का सूरजमुखी तेल 76.50 रुपये लीटर के भाव खरीदा है. आयातित सूरजमुखी तेल की स्थिति यह हो गयी है कि अब सस्ते की वजह से बायोडीजल बनाने वाली कंपनियां इसे खरीदने लगी हैं. इस तेल को बाजार का ‘राजा तेल’ बोला जाता है.  इस थोक कीमतों में आई गिरावट से किसी को राहत मिलती दिख नहीं रही. पेराई करने वाली तेल मिलें, तेल व्यापारी, आयातक, उपभोक्ता सभी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. थोक दाम घटने के बावजूद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों में महंगाई कायम है और उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही.

मांग में इजाफा

उपभोक्ताओं को सरसों तेल लगभग 30 रुपये लीटर, मूंगफली तेल 50-70 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल लगभग 30 रुपये लीटर महंगा मिल रहा है.  जाड़े में मिठाई और नमकीन बनाने वालों की पाम पामोलीन तेल की मांग नहीं होती है. जाड़े में पाम, पामोलीन की जगह सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की मांग बढ़ती है. कारोबारी सूत्रों ने कहा कि अब खाद्य तेल कारोबार की पहले जैसी स्थिति नहीं रह गई है जब रबी तिलहन फसल की कमी को खरीफ उत्पादन बढ़ाकर इसे पूरा करने का प्रयास किया जाता था.

खरीफ में थोड़ा बहुत उत्पादन बढ़ भी जाता है, तो उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि आबादी बढ़ने के साथ मांग भी बढ़ चुकी है. यानी अब हम काफी हद तक विदेशी बाजारों और वहां से होने वाले आयात पर निर्भर हो चले हैं और यहां के बाजार पर घरेलू उत्पादन की घट-बढ़ का कोई विशेष असर संभवत: नहीं होगा.

तेल- तिलहन की स्थिति 

वर्तमान समय में देशी तेल- तिलहन बहुत नाजुक स्थिति में हैं क्योंकि सस्ते आयातित तेलों का उनपर भारी दबाव है जिससे इन देशी तेलों का खपना मुश्किल है. ऐसे में आयातित तेलों की घट-बढ़ देशी तेलों पर दबाव बढ़ाती है. कांडला बंदरगाह पर सॉफ्ट ऑयल का स्टॉक पहले से काफी कम है और इस बीच नरम तेलों का नवंबर में कम आयात होने की संभावना दिख रही है. आगे त्योहारों और शादी-विवाह के मौसम और जाड़े में नरम तेलों की मांग और बढ़ने वाली है. इसलिए आने वाले दिनों में नरम तेलों की आपूर्ति के संदर्भ में तेल संगठनों को सरकार को रास्ता बताना चाहिये.

ये है दाम

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 95 रुपये घटकर 5,700-5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल का भाव 375 रुपये घटकर 10,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 50-50 रुपये का नुकसान दर्शाता क्रमश: 1,785-1,880 रुपये और 1,785-1,895 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ.

इसके उलट बीते सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 35-35 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,085-5,185 रुपये प्रति क्विंटल और 4,885-4,985 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 15 रुपये, 10 रुपये और 25 रुपये के मामूली सुधार के साथ क्रमश: 10,050 रुपये और 9,895 रुपये और 8,375 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.

ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने से बीते सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली. मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 125 रुपये, 300 रुपये और 50 रुपये टूटकर क्रमश: 6,700-6,775 रुपये क्विंटल, 15,200 रुपये क्विंटल और 2,255-2,540 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए.

जाड़े के मौसम में मांग कमजोर पड़ने के बीच बीते सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 175 रुपये की गिरावट के साथ 7,725 रुपये, पामोलीन दिल्ली का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 9,000 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 175 रुपये की हानि के साथ 8,175 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 200 रुपये की गिरावट के साथ 8,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ

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