Russia-Ukraine Conflict: रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है.
Crude Price @105 Dollar: रूस ( Russia) के यूक्रेन ( Ukraine) पर हमले के बाद कच्चे तेल के दामों ( Crude Oil Price) में उबाल है. कच्चे तेल के दामों ने गुरुवार सुबह सैकड़ा लगाया और शाम होते कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 105 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ पहुंचा है. जिस प्रकार के वैश्विक हालात हैं कच्चे तेल के दामों में और उछाल आने की संभावना जताई जा रही है.
रूस है कच्चे तेल का बड़ा उत्पादक
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है. जिससे भारत में महंगाई जबरदस्त तरीके से बढ़ सकती है.
कितना महंगा होगा पेट्रोल डीजल
अब आपको बताते हैं कैसे महंगा कच्चा तेल सरकारी तेल कंपनियों के खजाने पर असर डाल रहा है. कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाती हैं. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 105 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानि 35 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कच्चा तेल पिछले करीब 90 दिनों में महंगा हो चुका है. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 10 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे. लेकिन चुनावों के कारण उनके हाथ बंधे हैं.
पेट्रोल डीजल के दामों में बदलाव नहीं
सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल के दामों में 4 नवंबर 2021 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया है. सरकारी तेल कंपनियां अब हर रोज पेट्रोल डीजल के दामों की समीक्षा करती हैं लेकिन राजनैतिक कारणों और सरकार के दवाब के चलते अब वे ऐसा नहीं कर पा रही हैं. भले ही पेट्रोल डीजल के दामों को तय करने का अधिकार सरकारी तेल कंपनियों के दे दिया गया हो लेकिन वे कभी भी सरकारी दखल से बाहर नहीं निकल पाई है. यानि साफ है 10 मार्च 2022 को जैसे ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आय जायेंगे आम लोगों पर महंगे पेट्रोल डीजल की मार फिर से पड़ने लगेगी.