चैत्र महीने का आखिरी दिन आज,इस दिन तीर्थ स्नान करने की भी परंपरा

आज चैत्र महीने की पूर्णिमा है। इसे मधु पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि वैदिक काल में इस महीने का नाम मधुमास था। इस पूर्णिमा को महापर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन स्वारोचिष नाम का मन्वंतर शुरू हुआ था, इसलिए इसे मन्वादि तिथि कहा जाता है। इस तिथि पर किए गए स्नान-दान और अन्य कामों से मिलने वाला पुण्य अक्षय हो जाता है।

इस तिथि पर सूर्य अपनी उच्च राशि में होता है और चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में रहता है। सूर्य का मंगल की राशि और चंद्रमा का मंगल के नक्षत्र में होना शुभ होता है।इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देकर दिनभर दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लिया जाता है, इसलिए इसे स्नान और दान की पूर्णिमा भी कहा जाता है।

भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा का दिन

धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन किए गए विष्णु पूजन से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इस दिन चंद्रमा भी सौलह कलाओं से पूर्ण होता है। ग्रंथों के अनुसार इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चंद्रमा या सत्यनारायण का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है।

चैत्र पूर्णिमा महत्व और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

1. पूर्णिमा को मन्वादि, हनुमान जयंती तथा वैशाख स्नाना शुरू किया जाता है।
2. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का महारास खत्म हुआ था।
3. चैत्र महीने की पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
4. इस दिन घरों में लक्ष्मी-नारायण को प्रसन्न करने के लिये व्रत किया जाता है और सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है।
5. चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है। हनुमान जी का श्रंगार किया जाता है।
6. चैत्र महीने की पूर्णिमा पर पवित्र नदी में नहाने के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन और धन का दान किया जाता है।
7. चैत्र माह की पूर्णिमा पर अन्न, पानी, जूते-चप्पल, सूती कपड़े और छाते का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here