अर्थशास्त्र में इस तरह बढ़ने वाली महंगाई को अंग्रेजी में शृंकफ्लेशन (Shrinkflation) और हिंदी में सिकुड़न कहते हैं। इसमें प्रोडक्ट की प्राइस बढ़ाने के बजाय क्वांटिटी कम कर दी जाती है।
कीमत स्टेबल रखकर मात्रा घटाई
एडिबल ऑयल, अनाज और फ्यूल की बढ़ती कीमतों के बीच यूनिलीवर, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड और डाबर इंडिया लिमिटेड सहित अन्य कंपनियों ने अपने पैकेट्स की कीमत को स्टेबल रखकर अंदर रखे सामान की मात्रा को घटा दिया है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है। सबवे और डोमिनोज सहित अमेरिका की कई कंपनियों ने लागत कम करने के लिए सामान की मात्रा को कम किया है।
विम बार 155 ग्राम से घटकर 135 हुआ
बीते दिनों चौथी तिमाही के नतीजे घोषित करते हुए हिंदुस्तान यूनिलीवर के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर ने कहा था, अगली दो से तीन तिमाहियों में महंगाई और ज्यादा बढ़ सकती है। इसलिए कुछ पैक्स में वॉल्यूम कम करना ही एक तरीका है। उदाहरण के लिए कंपनी का बर्तन धोने में इस्तेमाल होने वाला पॉपुलर प्रोडक्ट विम बार 10 रुपए में 155 ग्राम मिलता था। अब इसका वजन घटाकर 135 ग्राम कर दिया गया है।
कंपनियों ने ‘ब्रिज’ पैक पेश किए
इसी तरह हल्दीराम का आलू भुजिया के पैक का वजन 55 ग्राम से घटकर 42 ग्राम हो गया है। वही हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अपने 10 और 35 रुपए के लाइफबॉय साबुन के बीच एक नए साइज का पैक पेश किया है। पारले-जी बिस्किट की कीमत फरवरी में भी 5 रुपए थी और अब भी 5 रुपए ही है, लेकिन वजन 64 ग्राम से घटाकर 55 ग्राम कर दिया गया है।
लगातार चौथे महीने महंगाई RBI की लिमिट के पार
अप्रैल में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 7.79% पर पहुंच गई। यह लगातार चौथा महीना है, जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। फरवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.07%, जनवरी में 6.01% और मार्च में 6.95% दर्ज की गई थी। एक साल पहले अप्रैल 2021 में रिटेल महंगाई दर 4.23% थी।