नई दिल्ली – दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर अब सागर के बाद नरसिंहपुर-सिवनी होते हुए नागपुर नहीं जाएगा। मप्र सरकार ने केंद्र सरकार को इसका रूट बदलने का प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि कॉरिडोर का मेन रूट तो दिल्ली से सागर तक पहले की ही तरह रखें, लेकिन सागर के आगे यह बीना, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल होते हुए नागपुर तक बनाया जाए।
बीते दिनों हुई पीएम गति शक्ति मिशन की बैठक में मप्र सरकार ने कहा है कि इस कॉरिडोर के पहले तय किए गए मेन रूट में कान्हा, पेंच नेशनल पार्क के साथ ही दुर्गम पहाड़ियों और नदियों के लंबे प्रवाह आ रहे हैं। यहां जमीन अधिग्रहण करना मुश्किल होगा। बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधन बर्बाद होंगे। इस क्षेत्र में कोई भी इंडस्ट्रियल एरिया विकसित नहीं किया जा सकता। जबकि नया रूट राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और 46 से होकर गुजरता है। यहां सरकार 20 हजार हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर चुकी है। अधिग्रहण की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में जारी है। बीना में 2,500 हेक्टेयर में प्रस्तावित बीपीसीएल का पेट्रोकेमिकल पार्क, भोपाल से लगे मंडीदीप और तामोट जैसे प्रमुख इंडस्ट्रियल एरिया इस कॉरिडोर में आएंगे।
देश में बन रहे 11 नेशनल कॉरिडोर में सबसे अहम है दिल्ली-नागपुर प्रोजेक्ट
- केंद्र नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश में 11 नेशनल कॉरिडोर बना रहा है। इसमें दिल्ली-नागपुर कॉरिडोर मप्र के लिए अहम है। 1100 किमी लंबे कॉरिडोर का 70% हिस्सा मप्र से गुजरेगा।
- नए प्रस्तावित रूट में मप्र के 23 जिलों के 32 इंडस्ट्रियल क्षेत्र आएंगे। इन 23 में से 18 जिलों से यह कॉरिडोर गुजरेगा, जबकि शेष पांच जिलों से इसकी आंशिक कनेक्टिविटी रहेगी। ये क्षेत्र उसके 150 किमी के दायरे में होंगे।
- सभी कॉरिडोर का काम 2025 तक पूरा होना है। इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 2000 करोड़ रु. कर्ज दिया है। इस योजना में सरकार अलग-अलग इंडस्ट्रियल क्षेत्रों को जोड़ने के लिए सड़क, रेल और जलमार्ग के जरिए एक गलियारा बनाएगी।
कॉरिडोर के नए रूट के 150 किमी के दायरे में मप्र के 13 नगरीय, 32 औद्योगिक क्षेत्र आएंगे। ये दिल्ली से शुरू होकर मथुरा, ग्वालियर, झांसी, ललितपुर, बीना, गंजबासौदा, विदिशा, भोपाल, नर्मदापुरम, इटारसी, बैतूल, मुलताई, पांढुरना, कोटल से होकर नागपुर पहुंचेगा।