लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे के पिता डॉ. सीजी पांडे एक नामचीन मनोचिकित्सक थे और कई साल तक नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में हेड के रूप में कार्यरत रहे। उनकी माता प्रेमा पांडे ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर थीं। लेफ्टिनेंट जनरल की माता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा पेश किया जाने वाले ‘बेला के फूल’ कार्यक्रम आज भी नागपुर के लोग याद करते हैं।
डॉ. सीजी पांडे अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं और वे नागपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में ही रहते हैं। मनोज पांडे साल में कई बार पिता से मिलने आते हैं।
केंद्रीय विद्यालय के अनुशासन को देख हुए आकर्षित
घर में सैन्य पृष्ठभूमि न होने के बावजूद उनके सेना में जाने की कहानी बेहद दिलचस्प है। पांडे परिवार शहर से दूर नागपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में रहता था। उनके घर के आसपास कोई बड़ा स्कूल नहीं था। हालांकि, घर से कुछ दूरी पर वायु सेना नगर में एक केंद्रीय विद्यालय था, लेकिन उसमें बाहरी स्टूडेंट्स के लिए कोई प्रवेश नहीं था। उनके पिता डॉ. पांडे ने वायु सेना के अधिकारियों से मनोज को स्कूल में दाखिला देने के लिए अनुरोध किया, जिसे उन्होंने मान लिया। यहां पढ़ने के दौरान उन्होंने सेना का अनुशासन देखा और यहीं से मन बनाया कि वे भी आर्मी ज्वाइन करेंगे।
यहीं पढ़ने के दौरान 11वीं कक्षा में पढ़ते हुए उन्होंने केंद्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और एनडीए में शामिल हो गए। वहां तीन साल का कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज, देहरादून से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1982 में वह बॉम्बे सैपर्स आर्मी इंजीनियरिंग सर्विस में शामिल हुए।
अच्छे क्रिकेटर रहे हैं मनोज पांडे
1962 में पैदा हुए मनोज पांडे एक अच्छे क्रिकेटर रह चुके हैं। स्कूल के दिनों में अंडर-19 टीम से विदर्भ के लिए भी खेल चुके हैं। मनोज पांडे को देश के सभी हिस्सों में सेवा करने का अनुभव है। उन्होंने इथियोपिया और एरीशिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भी काम किया है। उन्होंने कारगिल में डिवीजनल कमांड के अपने प्रभारी के रूप में उल्लेखनीय काम किया है। उनकी सेवाओं के सम्मान में, पांडे को विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया है।
परिवार के कई सदस्य सेना से जुड़े रहे
उनके छोटे भाई संकेत पांडे भी सेना में कर्नल रहे और कुछ साल पहले सेवानिवृत्त हुए हैं। सबसे छोटे भाई डॉ. केतन पांडे वर्तमान में ब्रूनेई के राजा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। मनोज पांडे के बेटे अक्षय और उनकी पत्नी सौम्या सिंह भी सेना में हैं और वर्तमान में वायु सेना में पायलट हैं।
पत्नी रहीं हैं डेंटिस्ट, अब हैं हाउसवाइफ
मनोज पांडे ने 3 मई 1987 को गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर की गोल्ड मेडलिस्ट अर्चना सालपेकर से शादी की है। कई सालों तक मेडिकल प्रैक्टिस करने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल पांडे की पत्नी अर्चना अब हाउसवाइफ हैं।
कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे लेफ्टिनेंट जनरल पांडे
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को दिसंबर 1982 में बॉम्बे सैपर्स में कमीशन मिला था। अपने करियर में, उन्होंने सभी प्रकार के इलाकों में पारंपरिक और साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों में कई प्रतिष्ठित कमांड और स्टाफ संबंधी दायित्वों को पूरा किया है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली, पश्चिमी सेक्टर में एक इंजीनियर ब्रिगेड, एलओसी के साथ एक इन्फेंट्री ब्रिगेड और पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाके में एक पहाड़ी डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली।
पांडे ने कई साल तक पुणे में की सर्विस
अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) और विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) से अलंकृत पांडे संयुक्त राष्ट्र के कई मिशनों में भी योगदान दे चुके हैं। वह जून 2020 से मई 2021 तक अंडमान एवं निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ भी रहे। पांडे ने कई साल तक पुणे में दक्षिणी कमान को हेड किया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे के लिए कहा जाता है कि वे और उनका परिवार मीडिया की चकाचौंध से दूर ही रहता है।