नई दिल्ली- चाहे केंद्र हो या राज्य स्तर की भर्ती परीक्षाएं या मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य प्रवेश परीक्षाएं, लगभग सभी में कभी न कभी पेपर लीक या परीक्षा के दौरान नकल या कोई अन्य गड़बड़ी के मामले सामने आते रहे हैं। इनके चलते कई बार तो पूरी परीक्षा ही कैंसिल करनी पड़ती है, जिससे सभी स्टूडेंट्स को परेशानी होती है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार अब एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही होने वाले लोक सभा चुनावों तथा जून तक होने वाले विभिन्न भर्ती व प्रवेश परीक्षाओं के मद्देनजर इस लोक परीक्षा विधेयक को संसद के इसी सत्र में पास किया जा सकता है।
क्या है लोक परीक्षा विधेयक?
माना जा रहा है कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद इसके दायरे में UPSC (संघ लोक सेवा आयोग), SSC (कर्मचारी चयन आयोग), रेलवे (रेलवे भर्ती बोर्ड RRB), बैंकिंग (IBPS, SBI, आदि) भर्ती परीक्षाओं के साथ-साथ मेडिकल (NEET UG/PG), इंजीनियरिंग (JEE Main/Advanced, आदि), CUET (विश्वविद्यालय यूजी/पीजी प्रवेश परीक्षा), आदि प्रवेश परीक्षाएं भी आएंगी।
लोक परीक्षा (कदाचार रोकथाम) विधेयक 2024 में परीक्षा में गड़बड़ी से लेकर पेपर लीक की घटनाओं के लिए कड़े कानून बनाए जाएंगे। इस विधेयक में पेपर लीक के मामले में दोषियों पर एक करोड़ रुपये के जुर्माने और दस साल की सजा का प्रावधान है।
सख्त हुए सजा के प्रावधान
विधेयक का जोर परीक्षा पत्रों तक पहुंच हासिल करने और उन्हें उम्मीदवारों तक पहुंचाने के लिए अनुचित तरीकों से शामिल संगठित सिंडिकेट पर नकेल कसने पर होगा। इसके अलावा इसमें सजा के प्रावधान भी सख्त किए जाएंगे।
- प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य उन व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी और कानूनी रूप से रोकना है, जो विभिन्न अनुचित साधनों में शामिल होते हैं।
- मौद्रिक या गलत लाभ के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले पर सख्त कार्रवाई किए जाने का फैसला किया गया है।
- इस कानून के दायरे में UPSC, SSB, RRB, बैंकिंग, NEET, JEE, CUET जैसे एग्जाम आएंगे।
- रिपोर्ट के अनुसार, तय अभ्यर्थी के स्थान पर किसी और को परीक्षा दिलाने, पेपर सॉल्व कराने, केंद्र के अलावा कहीं और परीक्षा आयोजित करने या परीक्षा से जुड़ी धोखेबाजी की जानकारी नहीं देने वालों पर कार्रवाई होगी।
- वर्तमान में पेपर लीक रोकने के लिए अपराधी के लिए तीन लाख से 5 लाख जुर्माना और एक से तीन साल की सजा या दोनों का प्रावधान है, लेकिन नई न्याय संहिता के तहत इस अपराध में जुर्माना एक करोड़ रुपये तक हो सकता है और सजा दस साल तक की हो सकती है।
- कंप्यूटर आधारित परीक्षा करा रहा सर्विस प्रोवाइडर अगर गलत कामों में शामिल पकड़ा जाता है, तो 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है। साथ ही, 4 सालों के लिए परीक्षा आयोजित कराने पर भी रोक लग सकती है।
- यदि धांधली के कारण परीक्षा रद्द हुई, तो उस पूरी परीक्षा का खर्चा दोषी पाए गए सेवा प्रदाताओं व संस्थाओं को देना होगा।
- प्रस्तावित विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।
- विधेयक में एक उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति का भी प्रस्ताव है, जो कम्प्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी।
- शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राष्ट्रीय मानक भी तैयार किए जाएंगे।
- सूत्र ने कहा कि सरकार ने वर्षों से भर्ती के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई सुधार पेश किए हैं और उस दिशा में प्रस्तावित कानून है।