अष्टमी-नवमी पर कब और कैसे करें हवन? जानें विधि और आवश्यक सामग्री

नवरात्री हवन विधि-  नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पावन पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि का ये महापर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्तूबर से हुई थी। इसका समापन 24 अक्तूबर को दशहरा वाले दिन होगा। वहीं 22 अक्तूबर महाअष्टमी और 23 अक्तूबर को नवमी है। मां अंबे की आराधना के लिए ये दोनों ही तिथियां बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। अष्टमी और नवमी को मां महागौरी की पूजा के साथ हवन किया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के साथ हवन करना अनिवार्य होता है। मान्यता है कि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं होती है।

नवरात्रि हवन-सामग्री

हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।

कब करें हवन?

ज्यादातर नवरात्रि का हवन दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन किया जाता है। इस साल दुर्गा अष्टमी 22 अक्तूबर रविवार को और महानवमी 23 अक्तूबर सोमवार को है। आप अपनी सुविधा और मान्यता के अनुसार दुर्गा अष्टमी या महानवमी के दिन हवन कर सकते हैं।

हवन का समय

इस साल दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से लेकर शाम तक है। ऐसे में इस दिन आप सूर्योदय के बाद महागौरी और सिद्धिदात्री पूजा करें। फिर उसके बाद हवन करें।
हवन की विधि
  • हवन करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  • हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें।
  • इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. फिर बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें।
  • इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें।
  • फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें।
  • फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें।
  • इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें।
  • अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं।
  • इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।

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