सुपर ब्लू मून – 30 अगस्त यानी आज का चांद बेहद खास है। आज फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों एक साथ पड़ रहे हैं। इस खगोलीय घटना को ‘सुपर ब्लू मून’ कहा जाता है। क्या आज आसमान में चांद नीला हो जाएगा? ये नजारा कितने दिनों बाद दिखता है? पृथ्वी के चारों ओर चांद एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इसलिए पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी हर दिन बदलती रहती है। जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी कहते हैं। जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो, उसे पेरिजी कहते हैं।
सुपरमून या ब्लू मून क्या होता है?
चांद की एक साइकिल 29.5 दिन की होती है। जब किसी एक कैलेंडर मंथ में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए तो इसे ही ‘ब्लू मून’ कहा जाता है। जैसे- अगस्त 2023 में 1 तारीख को पूर्णिमा थी, अब 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा पड़ रही है इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है।आम तौर पर ऐसा हर 2 से 3 साल में एक बार होता है। 30 अगस्त को फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों पड़ रहे हैं, इसलिए इसे ‘सुपर ब्लू मून’ कहा जा रहा है।
ब्लू मून शब्द का चांद के कलर से कोई लेना-देना नहीं है। साल 1940 से ये चलन शुरू हुआ कि अगर एक ही महीने में दो फुल मून यानी पूर्णिमा पड़ती है तो दूसरे फुल मून को ब्लू मून कहा जाएगा। चूंकि इसी दिन सुपरमून भी है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं। सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।
क्या चांद कभी नीला हो सकता है
NASA के अनुसार साल 1883 में इंडोनेशिया में क्राकाटोआ ज्वालामुखी फटा और उससे निकली राख हवा में 80 किमी ऊपर तक गई। वहां के पूरे वातावरण में राख फैल गई। इस राख के एक माइक्रॉन से भी छोटे-छोटे पार्टिकल्स फिल्टर की तरह काम करने लगे।चांद से आने वाली लाल रोशनी को नीले और हरे रंग में बांट दिया गया। इससे उस जगह पर चांद नीले और हरे रंग का दिखाई देने लगा था।
1983 में मैक्सिको में अल सियोन ज्वालामुखी के फटने के समय भी ऐसा ही हुआ था। इसी तरह 1980 में सेंट हेलेन्स और 1991 में माउंट पिनाटोबा ज्वालामुखी के फटने पर चांद नीला दिखने लगा था।
सुपर ब्लू मून देखने का सबसे सही समय क्या है?
सुपर ब्लू मून देखने का सबसे सही समय सूर्यास्त के फौरन बाद होता है। इस समय यह सबसे सुंदर दिखता है। लंदन में शाम के 8:08 बजे से लोग सुपर ब्लू मून देख पाएंगे। अमेरिका के न्यूयॉर्क में चांद का उदय ईस्टर्न डेलाइट टाइम के मुताबिक शाम के 7:45 बजे होगा।भारत में 30 अगस्त की रात 9:30 बजे सुपर ब्लू मून दिखने लगेगा। 31 अगस्त की सुबह 7.30 बजे ये अपने पीक पर होगा।
जब फुल मून धरती के सबसे करीब यानी पेरिजी पॉइंट पर होता है तब सुपरमून होता है। एक साल में ऐसा तीन से चार बार हो जाता है। यह इतना कॉमन है कि फुल मून का 25% सुपरमून होता है।सुपर ब्लू मून इतना कॉमन नहीं है। फुल मून का केवल 3% ही सुपर ब्लू मून होता है।
दोनों के बीच टाइम को लेकर भी फर्क है। सुपरमून साल में तीन से चार बार हो जाता है, लेकिन ब्लू सुपरमून का टाइम गैप ज्यादा होता है। यह 10 साल से लेकर 20 साल तक हो सकता है। उदाहरण के लिए अब अगला ब्लू सुपरमून साल 2037 में होगा, यानी अब से 14 साल बाद।
यह दुर्लभ खगोलीय घटनाएं देखने को मिल सकती हैं
14 अक्टूबर 2023: इसी साल 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। यह नॉर्थ, सेंट्रल और साउथ अमेरिका को क्रॉस करेगा। अमेरिका के साथ ही यह मेक्सिको और साउथ से लेकर सेंट्रल अमेरिका में देखा जा सकेगा।
28-29 अक्टूबर 2023: इस दिन आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसमें चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा, लेकिन पृथ्वी की छाया चांद के बहुत कम हिस्से पर पड़ेगी। इसलिए यह आंशिक चंद्र ग्रहण है। यह पूरे यूरोप सहित एशिया, अफ्रीका और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा।
3 नवंबर 2023: इस दिन जुपिटर यानी बृहस्पति ग्रह पृथ्वी के नजदीक से होकर गुजरेगा। इसकी चमक की वजह से इसे धरती से पूरी रात आसानी से देखा जा सकेगा। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक जुपिटर को देखने और उसकी फोटो लेने का यह सबसे सही मौका होगा।
4 दिसंबर 2023: बुध ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हुए 21.3 डिग्री पूर्व की तरफ होगा। बुध को देखने का यह सबसे सही समय होगा।