नैनो रोबोट की सहायता से ढूंढ़ेंगे शरीर में बीमारी, इनमें सर्जरी की भी क्षमता

लंडन– चिकित्सा की दुनिया में हो रहे नए बदलाव आने वाले सालों में इलाज के तरीके को बदलकर रख देंगे। ब्रिटेन और जापान के साइंटिस्ट नैनो रोबोट तैयार कर रहे हैं। ये रोबोट शरीर के अंदर तैनात किए जाएंगे। बीमारी ढूंढ़ेंगे और इलाज भी खुद ही करेंगे।ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स विभाग में प्रोफेसर पिएत्रो वाल्डास्ट्री ने 20 अलग-अलग नैनो रोबोट तैयार किए हैं। इनमें कैमरे और सेंसर लगे हैं। यहां तक की कुछ नैनो रोबोट में रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर भी हैं। ताकि सर्जन देख सकें कि शरीर के अंदर हो क्या रहा है और सर्जन इन रोबोट को आदेश दे सकें।

ये कैप्सूल रोबोट इतने छोटे हैं कि इन्हें निगला जा सकता है या छिद्र के माध्यम से शरीर में भेजा जा सकता है। अगले महीने प्रोफेसर वाल्डास्ट्री के डिजाइन किए गए एक रोबोट का पहली बार मानव पर परीक्षण किया जाएगा।साइंटिस्ट्स ने कैप्सूल रोबोट तैयार किया है। इनमें कैमरे और सेंसर लगे हैं जो शरीर के अंदर होने वाली एक्टिविटी की जानकारी देंगे।

कोलोनोस्कोपी का दर्द-मुक्त निवारण माना जा रहा

इस रोबोट को कोलोनोस्कोपी का दर्द-मुक्त निवारण करने के मकसद से डिजाइन किया गया है, जहां असामान्यताओं की जांच के लिए कैमरे के साथ एक ट्यूब को कोलन में डाला जाता है।एक कोलोनोस्कोपी में 45 मिनट लगते हैं और रोगी को बेहोश करना पड़ता है। ब्रिटेन में हर साल लगभग 9 लाख कॉलोनोस्कोपी की जाती हैं। प्रोफेसर वाल्डास्ट्री कहते हैं- कोलोनोस्कोपी दर्दनाक है। वहीं, कैप्सूल रोबोट सिलेंडर के आकार का छोटा सा रोबोट है। इससे दर्द रहित इलाज होगा और रोगी को बेहोश नहीं करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा- हमें उम्मीद है कि हम कोलन के और अधिक हिस्सों को देखने में सक्षम होंगे, ताकि हम अपने पीछे कोई गलती न छोड़ें। इस डिजाइन को तैयार करने में उन्हें 15 साल लगे है। डॉ. शील्ड्स कहते हैं- रोबोट प्रति सेकंड शरीर का 150 बार चक्कर लगा सकता है, जो लगभग 6 फीट के इंसान के 643 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति जितना है।

कैप्सूल रोबोट का परीक्षण चूहों पर पूरी तरह सफल रहा है

वैज्ञानिकों ने चूहों के मूत्राशय में स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन से पहले से लोड किए गए हजारों माइक्रोरोबोट तैनात किए हैं। परीक्षणों से पता चला कि वे मूत्राशय की दीवार से जुड़ने और अपनी जगह पर बने रहने में सक्षम थे, और फिर दवा पहुंचाते थे, जिससे क्षेत्र में प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सफलतापूर्वक सक्रिय किया जाता था।

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