अब आ गया गाय के गोबर पर चलने वाला ट्रेक्टर,जाने केसे करता हैं काम

नई दिल्‍ली- भारत में गाय के गोबर के उपयोग को लेकर काफी बहस होती रहती है. हमारे यहां एक तबका गाय के गोबर का उपयोग को लेकर हो रहे प्रयोगों का आमतौर पर मजाक ही उड़ाता है. लेकिन, दुनियाभर में गोबर के उपयोग को लेकर प्रयोग चल रहे हैं. ब्रिटेन की एक कंपनी ने तो अब गाय के गोबर से बनी मीथेन गैस से चलने वाला ट्रैक्‍टर भी बना दिया. 270 हॉर्स पावर का मीथेन चालित यह ट्रैक्‍टर, डीजल से चलने वाले ट्रैक्‍टर से बिल्‍कुल भी कमजोर नहीं है. मीथेन से चलने वाला यह ट्रैक्‍टर जहां बहुत कम पर्यावरण प्रदूषण करता है, वहीं इसे चलाने का खर्च भी डीजल ट्रैक्‍टर के मुकाबले बहुत कम है.

गाय के गोबर से चलने वाले इस ट्रैक्‍टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन ने बनाया है. कंपनी एक दशक से अधिक समय से बायोमीथेन उत्पादन पर शोध कर रही है. दुनियाभर में इस ट्रैक्‍टर को बड़ी आशा भरी नजरों से देख रहे हैं, क्‍योंकि ऐसा माना जा रहा है कि बायोमीथेन से चलने वाला यह ट्रैक्‍टर क्‍लाइमेट चेंज के संकट से निपटने में यह काफी मददगार होगा.

कैसे करता है काम

100 गायों वाले एक फार्म में एक बायोमीथेन बनाने के लिए एक यूनिट लगाई गई है. इस यूनिट में गायों का गोबर और मूत्र एकत्रित किया गया. इसी से बायोमीथेन बनाई गई. फिर इस बायोमीथेन को एक क्रायोजेनिक टैंक में भरा गया. इस टैंक को ट्रैक्‍टर पर फिट किया गया. क्रायोजेनिक टैंक में -160 डिग्री तापमान लिक्विफाइड मीथेन रहती है. यही ट्रैक्‍टर को चलने के लिए उतनी ताकत देती है, जितनी की डीजल देता है.

बेनामन के सह-संस्थापक क्रिस मान का कहना है कि T7 तरल मीथेन-ईंधन से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्‍टर है. कृषि उद्योग को डीकार्बोनाइज करने की ओर यह पहला कदम है. कंपनी प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग की संभावनाएं तलाश रही है. उसे उम्‍मीद है कि एक दिन इसका उपयोग ग्रामीण इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है.

मीथेन के साथ खाद भी मिलेगी

मीथेन बनाने के बाद गाय के गोबर की सलरी टैंक से बाहर निकल जाती है. यह बहुत उपजाऊ है. इसे खेतों में प्रयोग कर फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. साथ ही इसे डालने से रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी कम किया जा सकता है.

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