सावन का महीना आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है। तो इस साल 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत होगी। हिंदू कैलेंडर का ये पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। लोग सावन के सोमवार का व्रत करते हैं और शिव की पूजा-पाठ में लगे रहते हैं। सावन के महीने में पूजा-पाठ के नियमों के साथ ही खानपान के भी कुछ नियम हैं। जिन्हें फॉलो करने से ना केवल भोले बाबा खुश होते हैं बल्कि सेहत को भी नुकसान नहीं होता।
खासतौर पर भोले बाबा के व्रत में कुछ चीजों को मान्यतानुसार पूरी तरह से खाने से मना किया जाता है। जिसमे से एक है दूध या दही को खाना। काफी सारे लोगों का मानना है कि सावन व्रत में दूध या दही नहीं खानी चाहिए। इस बारे में तर्क से समझा जा सकता है कि आखिर ऐसा करना क्यों सही है।
सावन के व्रत में किन चीजों को खाने से मना किया जाता है
सावन के पूरे एक महीने भोलेनाथ की पूजा की जाती है। ऐसे में तामसिक भोजन से दूर रहते हैं। जैसे कि लहसुन-प्याज, एल्कोहल। वहीं सावन के सोमवार व्रत में भी समुद्री नमक, अनाज, गंध वाली सब्जियां जैसे लहसुन, प्याज के साथ मूली को भी खाने से मना किया जाता है। इसके साथ ही व्रत में दही और कच्चा दूध पीना भी मना होता है।
सावन व्रत में क्यों नहीं पीना चाहिए दूध और दही जुड़ी है धार्मिक मान्यताएं भोलेनाथ की पूजा में धतूरा, मदार, भांग, गन्ना जैसी चीजों को चढ़ाया जाता है। साथ ही दूध और दही का अभिषेक करते हैं। चूंकि भगवान शिव की पूजा में दूध और दही का इस्तेमाल होता है। इसलिए इन दोनों चीजों को व्रत में नहीं खाना चाहिए।
दूध-दही ना पीने के पीछे है साइटिफिक कारण
सावन के पूरे महीने दही और दही से बनी चीजों को खाने की मनाही है। फिर वो चाहे कढ़ी हो या फिर रायता। दरअसल, बारिश के मौसम में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। जब दूध से दही जमाते हैं तो खास तरह के बैक्टीरिया लैक्टोबेसिलस की मदद से ही दही जमती है। लेकिन बारिश के मौसम में इन गुड बैक्टीरिया से ज्यादा तेजी से बैड बैक्टीरिया फैलते हैं। इसलिए जमी हुई दही तेजी से खराब हो जाती है। वहीं बारिश में इम्यूनिटी और डाइजेशन दोनों कमजोर हो जाता है। और कमजोर डाइजेशन की वजह से गरिष्ठ भोजन को आयुर्वेद में सावन में खाने से मना करते हैं।
दूध का पाचन मुश्किल है, जिन लोगों का डाइजेशन कमजोर होता है अक्सर उन्हें दूध ना पीने की सलाह मिलती है। ऐसे में सावन का महीना जब बारिश होती है तो डाइजेशन ना बिगड़े इसलिए दूध ना पीने की सलाह दी जाती है। वहीं कच्चे दूध में बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए कच्चे दूध को पीने से मना किया जाता है।