ऐसे घटनाओं में पोस्टमार्टम होना जरूरी’
एम्स में फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ सुधीर गुप्ता के अनुसार, “हृदय संबंधित बीमारियों या अन्य जोखिम कारकों से हार्ट अटैक आने अचानक मरने वाले युवाओं का पोस्टमार्टम किया जाना चाहिए.
इससे मौतों की वजह पता लगाई जा सकती है और उसे जानने में मदद भी मिलेगी.उन्होंने कहा, “अगर मौत किसी अनजान हार्ट बीमारी की वजह से हुई है, तो परिवार से बीमारी का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग करने के लिए कहा जा सकता है. इससे कई बार बीमारी का पता लगाया जा सकता है.”
क्या कोरोना के चलते हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा हुआ?
कोरोना के खौफ ने लोगों की तकलीफें बढ़ाईं : कोरोना ने हर किसी के मन में एक खौफ पैदा कर दिया है। कोरोना से अभी तक लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। कोरोना के दौरान लोगों को अलग-अलग तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ा। किसी को सैकड़ों मील पैदल चलना पड़ा, किसी के माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों की मौत हो गई, किसी के दोस्त ने दम तोड़ दिया, किसी की नौकरी चली गई।ऐसे ही लोगों ने कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। ये दर्द और डर अब तक लोगों के जेहन में है। इसका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है। लोग एनजाइटी का शिकार हो रहे हैं। हर बात पर गुस्सा करने लगे हैं। लोगों का ब्लड प्रेशर हाई होने लगा है। लोग ज्यादा तनाव लेने लगे हैं। नींद नहीं आती।
गंभीर कोरोना मरीजों पर बढ़ा ज्यादा खतरा : कोरोना के समय जिन लोगों ने गंभीर संक्रमण झेला है, उनपर हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है। कोरोना के चलते लंग्स के अलावा भी शरीर के कई अंग डिस्टर्ब हो जाते हैं। कोरोना के चलते ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। इसके चलते हार्ट में ब्लॉकेज का खतरा भी ज्यादा होता है।
इन बदलावों ने लोगों के शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा करनी शुरू कर दी हैं। इसके चलते ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है। धीरे-धीरे ये बीमारियां दिल को काफी कमजोर कर देती हैं और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आ जाती है। इसके चलते सडेन डेथ के केस बढ़ गए हैं।
प्रदूषण और खान-पान ने लोगों को किया कमजोर : हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों का बड़ा कारण प्रदूषण और खान-पान भी है। लोग जंक फूड, नॉनवेज, तेल वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने लगे हैं। ये शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। शरीर का कोलेस्ट्रॉल इससे बढ़ जाता है। इसी तरह प्रदूषण का असर फेफड़ों पर तो पड़ता ही है, साथ में शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर देता है। दिल्ली एनसीआर व अन्य मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों की उम्र इसके चलते 10 साल कम हो जाती है। प्रदूषण और खान-पान भी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
युवाओं में नशे, सप्लीमेंट्स की लत ने बढ़ाया खतरा : कोरोना के बाद युवाओं में बॉडी बनाने को लेकर ज्यादा ही जोश देखने को मिला है। इसके लिए युवा तमाम तरह के सप्लीमेंट्स का यूज करने लगे हैं। ये बहुत ही खतरनाक होते हैं। इससे शरीर के कई ऑर्गन फेल हो सकते हैं। इसके अलावा शराब, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थ भी लोगों के दिल को कमजोर बनाते हैं। इसके अलावा अधिक एक्सरसाइज भी करना खतरनाक है। इससे दिल की गति तेज हो जाती है तो ब्लॉकेज कर सकती है। इसके अलावा नौकरी व अन्य कारणों से युवा स्ट्रेस भी बहुत ज्यादा लेने लगे हैं। रात-रात तक काम करते हैं। नींद कम लेते हैं। स्ट्रेस का सीधा असर दिल पर पड़ता है। यही कारण है कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं।