अगर हम पुराने समय की बात करें, तो उस समय आग जलना बहुत ही कठिन कार्य था। सबसे पहले आग का पता पुरा पाषाण काल में चला था, जब दो पत्थरो के रगड़ने पर आग जल जाती थी।लेकिन इस प्रक्रिया में आग जलना बहुत मुश्किल था। दो पठार को आपस में रगड़कर आग जलाने में बहुत समय लगता था। लेकिन आज हम माचिस की मदद से सिर्फ एक तिल्ली से बहुत ही आसानी से आग जला लेते है।
माचिस क्या होती है?माचिस का क्या इतिहास है?
माचिस आग जलाने का एक साधन है, जिसके द्वारा हम आग जला सकते है। माचिस एक बॉक्स के आकर की होती है, इसके अंदर कुछ तिल्लियां होता है, उन तिल्लियों को कागज़ या लकड़ी के द्वारा बनाया जाता है, जिसके आगे के हिस्से पर एक ख़ास प्रकार की सामग्री लगी हुई होती है।17वीं शताब्दी के मध्य में केमिस्ट हेनिंग ब्रांट द्वारा मिली जिन्होंने ने सोने को शुद्ध करने के लिए तरह तरह की धातुओं का प्रयोग किया। जिससे यह पता लगा था, की शुद्ध फास्फोरस को किस तरह से निकला जा सकता है।साथ ही केमिस्ट हेनिंग ब्रांट ने कई जाँच के बाद फास्फोरस को अलग करने की विधि का भी पता लगा लिया था। उनके द्वारा खोजी गयी यह विधि भविष्य में कई खोजो को करने के काम आयी।
माचिस का आविष्कार किसने किया और कब था?
सबसे पहले माचिस का आविष्कार ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन वॉकर द्वारा 31 दिसंबर 1827 को किया था। इन्होने माचिस की एक ऐसी तिल्ली का आविष्कार किया था, जो की किसी भी खुदरी जगह पर घर्षण करने से जल जाती थी।शुरुआत में लोगो को माचिस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसी वजह से माचिस लोगो के लिए बहुत खतरनाक थी, उस समय माचिस के कारण कई दुर्घटनाये भी हुई।शुरुआत में एक लकड़ी पर गोंद, स्टार्च, एंटीमनी सल्फाइड, पोटेशियम क्लोरेट, का लेप बनाकर उसे लकड़ी पर लगाया गया, और इसके सूखने के लिए छोड़ दिया गया, इसके बाद जब इसे किसी खुदरी जगह पर रगड़ा गया, तो इससे आग जल गयी है।
आधुनिक माचिस की खोज किसने की थी?
आधुनिक माचिस की खोज 31 दिसंबर 1827 को ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन वॉकर द्वारा की गयी थी। इस माचिस का उपयोग करने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती थी। यह माचिस किसी खुदरी चीज, या फिर किसी लकड़ी पर घर्षण करने पर ही जल जाती थी।इस माचिस को बनाने में जॉन वोकर ने पोटेशियम क्लोरेट, एंटीमनी सल्फाइड का उपयोग किया था, जिसे माचिस की तिल्ली के अगले हिस्से पर लगाया जाता है।
माचिस की तीली में कौन सी लकड़ी की बनती है?
कुछ माचिस की तीली को मोम के कागज के द्वारा भी बनाया जाता है। लेकिन अभी हम यह जानेगे, की माचिस की तीली में कौन से पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।भारत में माचिस बनाने के लिए पॉप्लर के पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।इस लकड़ी से बानी माचिस की तीली बहुत देर तक जल्दी है।लेकिन बहुत सी कंपनियां माचिस बनाने के लिए तरह तरह की लकड़ी का उपयोग करती है।
पॉप्लर के अलावा दूसरे पेड़ो की लकड़ियों से बानी माचिस की तीली ज्यादा देर तक नहीं जल पाती है। सबसे अच्छी माचिस अफ्रीका में पाए जाने वाले अफ्रीकी ब्लैकवुड से बनाई जाती है।
माचिस में कौन से रसायन उपयोग किया जाता है?
माचिस की तीली बनाने के लिए फास्फोरस केमिकल का उपयोग किया जाता है। फास्फोरस बहुत ज्यादा ज्वलनशील रसायनिक तत्व होता है। यह इतना ज्यादा ज्वलनशील पदार्थ होता है, की हवा के संपर्क में आते ही जलने लगता है। इसकी की वजह से माचिस की तीली बनाने के लिए फास्फोरस में और भी कई तत्वों को मिलाया जाता है।
माचिस की तीली बनाने के लिए फास्फोरस में गोंद, स्टार्च का लेप, पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, पिघला हुआ कांच और लाल फास्फोरस मिलाया जाता है। माचिस की तीली की साधारण लकड़ी पर मसाला लगाने से पहले इसके ऊपर अमोनियम फॉस्फेट एसिड का लेप लगाया जाता है।