नई दिल्ली- त्योहारी सीजन के दौरान गेहूं और आटे की कीमतों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की बिक्री के नियमों में बदलाव किया है। 1 नवंबर से बोली लगाने वाले खुले बाजार बिक्री कार्यक्रम के तहत प्रति सप्ताह दो टन तक गेहूं खरीद सकेंगे जिसकी वर्तमान में सीमा 100 टन है।
अब अधिकतम कितना खरीद सकते हैं गेहूं
एक नवंबर से बोलीदाता खुले बाजार में बिक्री योजना के माध्यम से अधिकतम दो टन गेहूं प्रत्येक सप्ताह खरीद सकते हैं। अभी यह सीमा एक सौ टन की है।इसके अतिरिक्त प्रत्येक ई-नीलामी में गेहूं खरीद की अधिकतम मात्रा को दो लाख टन से बढ़ाकर तीन लाख टन कर दिया गया है। सरकार के इस प्रयास को खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण रखने से जोड़कर देखा जा रहा है।
कीमतों को कंट्रोल करना का है प्लान
माना जा रहा है कि गेहूं एवं आटा की उपलब्धता बढ़ेगी तो अन्य खाद्य पदार्थों के दाम भी नियंत्रण में रह सकते हैं। सरकार को डर है कि त्योहारों के कारण नवंबर में गेहूं एवं इसके उत्पादों का भाव तेज हो सकता है। गेहूं के बढ़ते दाम पर किसी भी हाल में नियंत्रण के लिए स्टाक की जमाखोरी रोकने का प्रयास भी किया जा रहा है।
गेहूं की कमी नहीं
उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार देश में गेहूं की कमी नहीं है। भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का अधिशेष स्टाक है। इसलिए बिक्री की मात्रा बढ़ाने में कोई समस्या नहीं होगी।चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खुले बाजार में इस तरह का हस्तक्षेप किया जाता है। इसके तहत गेहूं और चावल की साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जाती है। अभी 26 अक्टूबर को ही इस वर्ष की 18वीं ई-नीलामी आयोजित की गई थी।
देशभर के 444 डिपो से 2.01 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई। स्टाक की जमाखोरी से बचने के लिए व्यापारियों को खुले बाजार योजना (घरेलू) के तहत गेहूं की बिक्री से बाहर रखा गया है एवं गेहूं खरीदने वाले आटा मिलों पर नियमित निरीक्षण भी किया जा रहा है। इसके लिए अभी तक 1627 जांच की गई है।