हिंदू धर्मशास्त्रों में प्राय:किसी शुभ कार्य के वर्णन में द्वार पर वंदनवार बांधने की बात आती है। यह वंदनवार क्या होती है और क्यों बांधी जाती है। । विवाह, सगाई, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, भगवान सत्यनारायण की कथा और अन्य अनेक शुभ कार्यो के समय घर के द्वारों पर आम के पत्तों की वंदनवार सजाई जाती है।
शुभ कार्यो की सिद्धि हो सके तथा वातावरण में शुद्धि रहे
वास्तव में शास्त्र कहते हैं कि वंदनवार नकारात्मक शक्तियों को उस घर से दूर रखती है जहां इसे बांधा जाता है। मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की वंदनवार बांधने का विधान ही इसलिए बनाया गया कि हमारे शुभ कार्यो की सिद्धि हो सके और नकारात्मक शक्तियां, विकार दूर रह सकें.आम के पत्ते लंबे समय तक आक्सीजन उत्सर्जित करते रहते हैं। इससे वातावरण शुद्ध रहता है और दूषित वायु के कण, प्रदूषण, विषैली गैसें आदि उस जगह प्रवेश नहीं कर पाती जहां आम के पत्ते हों। इसीलिए हमारे यहां शुभ कार्यो में आम के पत्तों की वंदनवार बांधी जाती है।
क्या हैं लाभ
- आम के पत्तों की वंदनवार बांधने से वातावरण शुद्ध रहता है।
- आम के पत्तों का स्पर्श मन और मस्तिष्क को शीतलता देता है।
- आम के पत्तों को शुभ कार्यो में प्रयुक्त करने का उद्देश्य ही यह है कि वह सबसे ज्यादा और बहुत देर तक आक्सीजन उत्सर्जित करता है।
- हवन, यज्ञ आदि में आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
- आम्र वृक्ष की छाल, पत्ते और इसके फूलों का उपयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है।
- गृह प्रवेश के समय द्वार पर वंदनवार बांधने से अभीष्ट कार्य में बाधा नहीं आती और कार्य सिद्धि होती है।
- आम के पत्तों को माला के रूप में भगवान नारायण को अर्पित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
- आम के पत्तों का चयन करते समय ध्यान रखें किवे टूटे-फटे, कटे हुए न हों।
- साफ-सुथरे और साबुत पत्तों की ही माला या वंदनवार बनाई जानी चाहिए।