कैसे मापा जाता है समुद्र का जलस्तर? जाने क्या कहता हैं विज्ञानं

कुछ समय से जलवायु वैज्ञानिक अंटार्कटिका में तेजी से बर्फ पिघलने की खबरें चिंताओं को बढ़ा रहे हैं. बताया जा रहा है कि जैसा कि पहले उम्मीद की जा रही थी, अंटार्कटिका में बर्फ उससे कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रही है और  इससे महासागरों का जलस्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है यानि अब तक महासागरों के जलस्तर बढ़ने के खतरे के अनुमान लगाए जा रहे थे वे अनुमान से बहुत जल्दी सामने दिखाई देंगे, लेकिन समुद्रों या महासागरों का जलस्तर कैसे नापा जाता है यह बहुत ही कम लोग जानते हैं.

भूआकृतियों की ऊंचाई

गोल पृथ्वी का सटीक महासागरीय जलस्तर मापना बहुत कठिन काम है. लेकिन यह दो कारणों से जरूरी है. सबसे पहले तो इस मापन से धरती पर हर जगह और चीज की ऊंचाई का सही आंकलन किया जा सकेगा जिसकी रेलवे से लेकर कई निर्माण कार्यों में उपयोगिता रहती है. इससे माउंट एवरेस्ट की सही ऊंचाई पहचानने में गड़बड़ी की वजह भी समुद्र जल स्तर मापन ही हैं.

जलस्तर बढ़ने घटने का मापन

इसके अलावा समुद्री जलस्तर जानकर हम यह पता लगा सकते हैं कि महासागरो में पानी की मात्रा बढ़ रही है या घट रही है. चिंता की बात यह है कि ग्लोबल वार्मिंग और दूसरे मौसमी बदलावों की वजह से दुनिया में महासागरों और समुद्री जलस्तर में इजाफा देखतने को मिल रहा है और ऐसा होता रहा तो तटीय इलाको में बसे शहर मुसीबत में आ जाएंगे.

जलस्तर मापन की आदर्श स्थिति

समुद्री जलस्तर मापन में कई तरह की चुनौतियां हैं. अगर पृथ्वी के अंतरिक्ष में दूर सूर्य चंद्रमा के प्रभाव से दूर ला जाया जा सके तो और जहां दुनिया में तापमान विविधता ना रहे, उस स्थति में पूरी पृथ्वी पर महासागर एक शांत तालाब बन जाएंगे. बारिश और हवाएं बंद हो जाएंगी और नदियों का बहना बंद  हो जाएगा. तब शायद हम सटीक समुद्री जलस्तर मापन करने की स्थिति में आ सकेंगे.

कई कारक काम करते हैं

ऐसी स्थिति में पूरी पृथ्वी एक जियॉइड कहलाएगी जहां धती पर समुद्र किनारे से किसी जगह तक नहर निकाली जा सकेगी. लेकिन पृथ्वी पर हालात इतने शांत नहीं हैं पानी के स्तर में बहुत सारे कारक अपना असर देते रहते हैं जिनमें चंद्रमा की ओर से ज्वार का असर, हवाओं के कारण बड़ी छोटी लहरें, वायुमंडल में कम या ज्यादा दबाव के क्षेत्र तो समुद्र की सतह के स्तर तक मे बदलाव कर देते हैं, शामिल हैं.

तापमान बारिश और नदी भी

इसके अलावा महासागरों में बढ़ता घटता तापमान पानी के घनत्व और आयतन को भी बदलता है और बारिश और नदियों के बहाव महासागरों को प्रभावित करते हैं. अगर हम किसी समुद्री तट पर किसी स्केल से समुद्री जलस्तर मापने का प्रयास करें तो पाएंग की लहरे हर घड़ी में स्तर बदल रही हैं, ज्वार भाटा हर घंटे में  और ग्रहीय एवं सौर कक्षा में बदलाव हर हफ्ते में जलस्तर बदल रहे हैं. इस समस्या से मुक्त होने के लिए वैज्ञानिकों ने टाइड गेज की मदद ली.

क्या होता है टाइड गेज

टाइड गेज एक विशाल 30 सेमी के व्यास वाला लंबा पाइप है जिसमें पानी की रेखा के नीचे छोटा छेद होता है. इसे स्टिलिंग वेल भी कहा जाता है. इस पाइप के बाहर लहरें बदलाव लाती रहती हैं, लेकिन गेज में समानता बनी रहती है. यानि इस गेज पर लहरों का असर नहीं के बराबर ही असर होता है. इसी पाइप के अंदर समुद्र जलस्तर का तुलनात्मक तौर पर बेहतर तरह से मापन किया जा सकता है.

लेकिन इस तरह से मापन एक ही बार करना काफी नहीं होता है बल्कि कई सालों  तक मापन कर इसका औसत मापन किया जाता रहता है. फिर भी मिलीमीटर केस्तर पर इस मापना मुश्किल ही काम है और सैटेलाइट के होने पर भी उन्हें भी उसी तरह की चुनौतियों का सामना करना होता है. कई सालों से लगातार मापन वैज्ञानिक औसत मापन में सुधार करने का काम करते आ रहे हैं.

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