औद्योगिक विकास महामंडल में विदर्भ का कार्य देख रहे अधिकारी और कर्मचारियों की संपत्ति जांचे ईडी
मुंबई- महाराष्ट्र के औद्योगिक क्षेत्रों में जिन उद्योजकों को भूखंड आवंटन किये गये है उनके दैनंदिन कार्य जैसे आवंटन पत्र निर्गमित करना, भूखंड धारक से करारनामा करना भूखंड का ताबा देना, बँक से वित्तीय ऋण लेने के लिए त्रयस्थ करारनामा करना, बांधकाम हेतू नक्शा मंजूर करना, बीसीसी मंजूर करना, भूखड कर विभाजन करना, अथवा दो भूखंडों को आपस मे जोडना, भूखंड हस्तांतरण करना, जैसे सामान्य कार्यो के लिए संपूर्ण महाराष्ट्र में सोलह प्रादेशिक अधिकारी कार्यालय कार्यरत हैं.
जिसमे से संपूर्ण विदर्भ के लिये दो कार्यालय नागपूर एवं अमरावती में स्थित है यह कार्यालय केवल दिखावटी है क्योंकि उद्योजको के सामान्य एवं छोटे से कार्य के लिए फाइलें मुंबई मुख्यालय स्थित उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्र. 4 के पास भेजी जाती है. यहीं से उद्योजको का दोहन शुरू होता है या यु कहे लूट शुरू होती है. मुख्यालय मे फाईल आने पर उसमे कोई ना कोई त्रुटी निकाल कर वापस प्रादेशिक अधिकारी को भेज दिया जाता है. इसके बाद में मुख्यालय से फोन करके उद्योजक को बुलाया जाता हैं, जब वह मिलने आता है तो उससे लेने देने की अर्थपूर्ण बात की जाती है सौदा पक्का होने पर ही उद्योजक की फाईल आगे मंजुरी के लिए भेजी जाती है अन्यथा फाईल निगेटिव्ह करके मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भेजकर उसे नामंजूर करा दिया जाता है. amravati midc akola midc
इसके बाद उद्योजक के पास कोर्ट में जाने के सिवाय कोई उपाय नहीं बचता क्योंकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी से बडा कोई अपिलीय अधिकारी एमआयडीसी में नहीं है. इसी बात का फायदा उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवम उनके कार्यालय में बैठे हुए दलाल नुमा कर्मचारी उठाते है. उद्योजको व औद्योगिक संघटना से चर्चा करके हमारे प्रतिनधि ने जाना कि अधिकतर प्रकरणो मे यही प्रक्रिया अपनाकर एमआयडीसी के अंधेरी स्थित मुख्यालय में क्या भ्रष्टाचार किया जाता है?
पिछले दस वर्ष सें एक ही जगह कार्यरत है यह कर्मचारी !
उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी चार के पास एक कर्मचारी पिछले दस वर्ष में मलाईदार पद पर कार्यरत है. इतने समय में श्री विकास पानसरे, दत्तात्रय नडे, तेजुसिंग पवार, श्री मोरे गये, श्री तामोरे इस पद पर आये. परंतु यह कर्मचारी इसी कार्यालय में डटा हुआ है. दलाली करने के अलावा ऐसी क्या निलेशता है इस कर्मचारी मे जो अंधेरी जैसे उच्च वर्गीय क्षेत्र में फ्लॅट का लाख रुपया किराया देकर किराये की महंगी गाडी भी मेनटेन करता हैं। यह जांच का विषय है….
अकोला इंडस्ट्री एसोसिएशन के सचिव नितिन बियानी ने कहा,”उद्योजको के सभी कार्य प्रादेशिक अधिकारी स्तर पर ही होना चाहिए, परंतु अमरावती के प्रादेशिक अधिकारि द्वारा कोई भी कार्य के लिए फाइल मुंबई रेफर किया जाता है. जिससे उद्योजको को आर्थिक और मानसिक त्रास होता है, दूसरी ओर कई सारे सेषकर जो औद्योगिक विकास महामंडल द्वारा बढ़ाए गए जैसे फायर सेष एवं अन्य इसी के साथ औद्योगिक विकास महामंडल का सभी प्रादेशीक स्तर पर MIDC में उद्योग सुरु करने के लिए क्या प्रक्रिया है उस के लिए एक मार्गदर्शन केंद्र होना चाहिए, जिससे नए उद्योग शुरू करने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी. क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे युवायों को रोजगार देने के लिए प्रयत्नशील है, वे कई निर्णय उद्योजको के हित में ले रहे है. अंत में उन्होंने कहा कि नए मुख्य कार्यकारी संज्ञान लेना अधिकारी ने सभी विषयों का गंभीरता से लेना चाहिए और उचित कार्यवाही करनी चाहिए” amravati midc akola midc