क्या आपके घर में भी लगा हैं गीज़र तो जरूर पढ़े ये खबर,वरना आप शिकार हो सकते हैं दुघटना के

इस सर्दी के मौसम में सिंटेक्स की टंकी हो या नगरपालिका वाले नल का पानी, डायरेक्ट ठंडे पानी से नहाना हर किसी के बस की बात नहीं है। ऐसे में ज्यादातर लोगों के घर में गीजर का उपयोग किया जाता है। लेकिन घर कमें कोई न कोई  ऐसा सदस्य जरूर होता है, जो गीजर चालू करके भूल जाता है,या फिर एक ऐसा सदस्य होगा जो नहाते वक्त गीजर ऑन ही रखता है। ऐसे में गीज़र फटने की आशंका ज्यादा होती हैं.

गीजर ऑन रखने की आदत, इस तरह हो सकती है खतरनाक

ज्यादा देर ऑन रखने से गीजर ज्यादा गर्म हो जाता है जिससे वह फट सकता है।बॉयलर पर ज्यादा दबाव पड़ता है जिससे लीकेज की प्रॉब्लम हो सकती है।लीकेज की वजह से करंट लग सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।गीजर का वायर अगर कॉपर का नहीं है तब भी वह फट सकता है। गैस गीजर वाले बाथरूम में प्रॉपर वेंटिलेशन न हो तो दम घुट सकता है।

अगर आपका गीजर इलेक्ट्रिसिटी से चलता है, तो बिजली का बिल ज्यादा आएगा। गैस से चलता है, तो गैस जल्दी खत्म हो जाएगा। दोनों ही सिचुएशन में आपका खर्चा ज्यादा हो सकता है।यह जानना भी जरूरी है कि गीजर कितने तरह के होते हैं। इनकी डिटेल जानने के बाद आपको खरीदते वक्त निर्णय लेने में आसानी होगी।

गीजर 5 प्रकार के होते हैं

इलेक्ट्रिक गीजर- यह सबसे कॉमन गीजर है। जिसमें पानी कॉपर Coil के जरिए गर्म होता है। यह गैस गीजर से छोटा होता है। कहीं भी आसानी से लग जाता है। इसमें पानी काफी तेजी से गर्म होता है और कॉर्बन डाईऑक्साइड भी नहीं छोड़ता। हालांकि इसे यूज करने के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है।

गैस गीजर- ये भी बहुत से घरों में इस्तेमाल होता है। इसमें Liquefied petroleum gas यानी LPG और Propane के जरिए पानी गर्म होता है। इलेक्ट्रिक गीजर के जरिए ये पानी ज्यादा तेजी से गर्म करता है। इसे बड़ी फैमिली के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसके लिए बड़ा बाथरूम और वेंटिलेशन की जरूरत होती है।

टैंक वाटर गीजर- इसमें एक टैंक होता है। पहले पानी स्टोर होता है, उसके बाद गर्म। इसमें दिक्कत ये होती है कि अगर टैंक में पानी ज्यादा टाइम तक रहा, तो ठंडा हो जाता है।

हाइब्रिड गीजर- इसमें भी वाटर टैंक होता है, जिसमें पानी स्टोर होता है। दूसरा हीट पंप रहता है, जिसमें हीट इकट्ठा होता है। ये नॉर्मल गीजर के मुकाबले 60% कम बिजली खर्च करता है। कीमत ज्यादा होती है।

सोलर वाटर गीजर- जहां ज्यादा धूप हो, उस जगह के लिए ये गीजर बेस्ट है। ये पॉल्यूशन फ्री होता है। छोटी फैमिली के लिए ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

 पहली बार गीजर लगवाते वक्त इन 5 बातों का ख्याल जरूर रखें…

  • कंपनी के इंजीनियर से ही गीजर की फिटिंग करवाएं, खुद लगाने की कोशिश न करें।
  • ISI मार्क वाला गीजर ही खरीदें, लोकल गीजर खरीदने से बचें।
  • जिस बाथरूम में आप गीजर लगवा रहे हैं, वहां की दीवार और गीजर के बीच थोड़ी खाली जगह होनी चाहिए।
  • गीजर हमेशा ऐसी हाइट पर लगवाएं जहां साफ-सफाई के वक्त आपके हाथ आसानी से पहुंच सके।
  • इसके स्विच की ऊंचाई इतनी होनी चाहिए कि बच्चों के हाथ आसानी से न पहुंच सके।

 कुछ बातों का ध्यान रख आप गीजर इस्तेमाल करते हुए बिजली बचा सकते हैं …

बिजली बिल की बचत के लिए लोग आजकल गैस गीजर लगा रहे हैं।गीजर और गैस सिलेंडर को बाथरूम से बाहर ही रखें।बाथरूम का दरवाजा बंद करने से पहले बाल्टी में गर्म पानी भर लें।बाथरूम में हवा के आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए यानी वेंटिलेशन की सुविधा हो।खुद को संभाल नहीं पाता और बेहोश हो जाता है।ऐसी स्थिति में दम घुटने से कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है।

यदि आपके घर का पानी खारा है तो गीजर को खास देखभाल की जरूरत है। दरअसल हीटिंग मैटीरियल की सतह का स्केल बिल्ड-अप और समय के साथ जमा होने से गीजर कमजोर हो जाता है। अगर यह परत मोटी हो जाती है, तो पानी तेजी से गर्म नहीं हो पाता। इससे हीटर जल सकता है। स्टोरेज और इंस्टेंट गीजर के लिए, आपको बीच-बीच में गीजर खोलना चाहिए और हीटिंग मैटीरियल को साफ करना चाहिए।

  • 5 स्टार रेटिंग का गीजर खरीदें। ये बिजली का बिल कम करने में काफी मदद करते हैं।
  • गीजर का जब इस्तेमाल हो केवल तब ही ऑन करें। बाकी समय उसे ऑफ कर दें।
  • हर महीने एक गोल सेट करें कि इतनी ही यूनिट खर्च करनी हैं। इससे आप गीजर चलाते वक्त ज्यादा ध्यान दे पाएंगे।
  • हाई-कैपेसिटी वाला गीजर खरीदें। इसमें एक बार पानी गर्म करने के बाद वह 3-4 घंटे तक गर्म रहता है।

गैस गीजर जान के लिए किस तरह खतरा बन सकता है ऐसे समझिए-

कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में जाने से व्यक्ति पहले बेहोश होता है।उसका दिमाग कोमा जैसी स्थिति में चला जाता है।वो दरवाजा खोलकर बाहर आने की सिचुएशन में नहीं रहता है।इस वजह से बाथरूम के अंदर ही उसका दम घुट जाता है।कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर हमला करती है।जब कोई सांस लेता है तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है।हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के दूसरे हिस्सों तक जाती है।

कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं।शरीर का ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है।ऐसा होने से सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, सोचने की क्षमता पर असर पड़ना, हाथों और आंखों का को-ऑर्डिनेशन गड़बड़ होना, कार्डियक एवं रेस्पिरेटरी फेलियर होता है।कुल मिलाकर जान जाने का खतरा हो सकता है।

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