वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा, फर्जी वोटिंग पर लगेगी लगाम

नयी दिल्ली- पैन कार्ड और आधार कार्ड को लिंक करने के बाद अब चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। अब वोटिंग कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा। चुनाव आयोग ने यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लिया है। आज दिल्ली में आयोजित बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया तथा इस संबंध में विशेषज्ञों के साथ परामर्श शीघ्र ही शुरू होगा। 

आधार संख्या को मतदाता पंजीकरण संख्या से जोड़ा जाएगा। इस पर जल्द ही विशेषज्ञों के साथ परामर्श किया जाएगा। आयोग ने बताया कि यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लिया गया है। आधार कार्ड केवल पहचान स्थापित करने की एक प्रणाली है, इसका नागरिकता से कोई संबंध नहीं है। केवल नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार है। चुनाव आयोग, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 326 और सर्वोच्च न्यायालय के प्रासंगिक निर्णयों के आधार पर ईपीआईसी को आधार से जोड़ने के लिए कार्रवाई करेगा। इस बीच, इस संबंध में यूआईडीएआई और चुनाव आयोग के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

चुनाव आयोग ने वास्तव में क्या कहा? 

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को दिया जा सकता है। आधार कार्ड की मदद से किसी व्यक्ति की पहचान पता की जा सकती है। इसीलिए वोटर कार्ड और आधार नंबर को लिंक किया जाएगा। यह समस्त प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) एवं 23(6) के अनुसार तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अधीन होगी। जल्द ही यूआईडीएआई और भारत निर्वाचन आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ परामर्श किया जाएगा।

यह निर्णय क्यों लिया गया?

वर्तमान में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां एक ही मतदाता के नाम अलग-अलग स्थानों पर पंजीकृत हैं। इसके अलावा, फर्जी मतदाताओं की पहचान करने और फर्जी मतदान को रोकने के लिए सरकार और चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। आधार कार्ड लिंक करने से प्रत्येक मतदाता की पहचान सत्यापित करने और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।

कब और कैसे लागू किया जाएगा?

चुनाव आयोग इस निर्णय को लागू करने के लिए जल्द ही विशेषज्ञों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करेगा। केन्द्र सरकार इसके लिए आवश्यक तकनीकी सुधार करेगी। इस संबंध में दिशानिर्देश जल्द ही घोषित किए जाएंगे। मतदाताओं को अपने आधार कार्ड लिंक करने के लिए एक निश्चित अवधि दी जाएगी और यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से की जाएगी।

नागरिकता और गोपनीयता पर आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड केवल पहचान स्थापित करने का एक साधन है और इसका भारतीय नागरिकता से कोई संबंध नहीं है। इसलिए केवल भारतीय नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार होगा। इसके साथ ही नागरिकों की गोपनीयता और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानियां बरती जाएंगी।

मतदान प्रक्रिया में क्या परिवर्तन किये जायेंगे?

फर्जी मतदान रोकें – आधार लिंकिंग से फर्जी मतदाताओं की पहचान करना आसान हो जाएगा। 

एक ही मतदाता का एक से अधिक बार पंजीकरण नहीं होगा – मतदाता सूची अधिक स्वच्छ और विश्वसनीय हो जाएगी। 

मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने में सहायता मिलेगी – चुनाव अधिक विश्वसनीय और निष्पक्ष तरीके से आयोजित किये जायेंगे। 

आधार लिंकिंग के इस निर्णय से चुनाव प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो जाएगी। इससे फर्जी मतदान को रोकने और प्रत्येक मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रक्रिया में किसी मतदाता को कोई परेशानी न हो। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नागरिक और राजनीतिक दल इस निर्णय पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

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