नई दिल्ली- ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर करने से देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके चलते 30 दिनों तक खरमास लगता है। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। वर्तमान समय में सूर्य देव मीन राशि में विराजमान हैं और 13 अप्रैल को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाएंगे।
अप्रैल माह विवाह मुहूर्त
- 18 अप्रैल को विवाह मुहूर्त है। इस दिन मघा नक्षत्र है।
- 19 अप्रैल को विवाह मुहूर्त है। इस दिन एकादशी भी है। वहीं नक्षत्र मघा है। एकादशी तिथि पर विवाह करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- 20 अप्रैल को भी विवाह मुहूर्त है। इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है। वहीं, तिथि द्वादशी है।
- अप्रैल महीने में अंतिम लग्न यानी विवाह मुहूर्त 21 अप्रैल को है। इस दिन तिथि त्रयोदशी है। वहीं, नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी ही है। इसके बाद अप्रैल महीने में विवाह मुहूर्त है। ज्योतिष त्रयोदशी तिथि को विवाह हेतु शुभ मानते हैं।
- विवाह तिथि निर्धारण हेतु स्थानीय पंडित से अवश्य सलाह लें।
इन महीनों में नहीं होगी शादी
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु और शुक्र तारा के अस्त होने पर शादी नहीं करनी चाहिए। 22 अप्रैल से शुक्र तारा के अस्त होने के चलते मई और जून महीने में कोई विवाह मुहूर्त नहीं है। इसके बाद 2 जुलाई से विवाह मुहूर्त है। वहीं, जुलाई 16 से लेकर 12 नवंबर तक चातुर्मास के चलते विवाह मुहूर्त नहीं है। हालांकि, इस दौरान प्रकांड पंडित से सलाह लेकर अबूझ मुहूर्त के दौरान शादी की जा सकती है।