श्री गणेश जयंती पर पंचक और भद्र काल ,यहाँ देखे स्थापना समय,पूजाविधी,मंत्र  

गणेश जयंती- प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। गणेश जयंती के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती है। मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करते हैं, उनके सार कष्ट, विघ्न, परेशानियां दूर हो जाती हैं। गणेश जयंती 25 जनवरी दिन बुधवार को है।

गणेश चतुर्थी पट श्री गणेश को प्रसन्न करके अपनी सभी विघ्नों का निवारण प्राप्त कर सकते हैं। गणेशजी कि पूजा के समय गणेश जी के प्रभावशाली मंत्रों का जाप करने से न सिर्फ जीवन में तरक्की मिलेगी बल्कि सभी कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार मंत्रों का जाप करने से श्री गणेश का आशीष प्राप्त होगा। आपके जीवन में तरक्की और खुशहाली आएगी। आइए जानते हैं कौन से हैं वो मंत्र।

गणेश जयंती 2023 तिथि 

चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 जनवरी, दोपहर 03:22 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 जनवरी, दोपहर 12: 34 मिनट तक
उदया तिथि के अनुसार गणेश जयंती 25 जनवरी, बुधवार को है।

गणेश जयंती 2023 शुभ मुहूर्त 

पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 11: 29 मिनट से दोपहर 12:34 मिनट तक
रवि योग: प्रातः 06: 44 मिनट से 08 :05 मिनट तक
परिघ योग- 24 जनवरी, रात्रि 09 :36 मिनट से 25 जनवरी, सायं 6:15 मिनट तक
शिव योग- 25 जनवरी, सायं 06:15 मिनट से 26 जनवरी, प्रातः 10:28 मिनट तक

भद्रा और पंचक का समय

गणेश जयंती पर भद्रा 25 जनवरी को सुबह 01 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 34 तक है।  पंचक 27 जनवरी को रहेगा। भद्रा में मांगलिक कार्य करने की मनाही है। लेकिन पंचक और भद्रा में पूजा पाठ किया जा सकता है।
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गणेश जयंती पूजा विधि

  • गणेश जयंती के दिन सुबह पानी में तिल डालकर स्नान करें और लाल वस्त्र पहनकर गणपति के समक्ष व्रत का संकल्प लें.
  • उत्तर पूर्व दिशा में लकड़ी की चौकी रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछाएं. चौकी पर कलश स्थापित करें.
  • अब एक पात्र में धातु से बनी गणपति प्रतिमा का गंगाजल में तिल मिलाकर स्नान कराएं और फिर अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।। इस मंत्र को बोलते हुए गणपति को चौकी पर स्थापित करें.
  • गौरी पुत्र गणेश को रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, मेहंदी, लाल पुष्प , लौंग, इलायची, इत्र, पान का पत्ता, वस्त्र, नारियल अर्पित करें.
  • अब जनेऊ में थोड़ा हल्दी लगाकर गणपति को पहनाएं और ‘श्री गणेशाय नमः दुर्वाकुरान समर्पयामि मंत्र का जाप करते हुए जोड़े से 11 या 21 दूर्वा चढ़ाएं.
  • गणेश जयंती को तिल कुंड चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन गणपति को खासकर तिल से बनी बर्फ या लड्‌डू का भोग लगाना चाहिए.
  • गणपति को उनके प्रिय पांच फल (केला, सीताफल, जामुन, अमरूद, बेल) अर्पित करें ध्यान रखें प्रसाद में तुलसी न रखे, गणपति की पूजा में तुलसी वर्जित है.
  • सुगंधित धूप और तीन बत्तियों वाला दीपक लगाकर गणपति चालीसा का पाठ करें और गणेश जयंती की कथा पढ़ें.
  • परिवार सहित गणपति की विधि पूर्वक आरती करें और फिर प्रसाद सभी में बांट दें. इस दिन गाय को तिल भोजन खिलाना चाहिए और तिल का दान करना भी श्रेष्ठ होता है.

गणेश जयंती पर करें राशि अनुसार गणेश मंत्र का जाप 

गणेश जयंती पर गणेश जी के मंत्रों का जाप करना फलदायी माना जाता है। प्रत्येक राशि के जातकों को अपनी राशि अनुसार मंत्र जाप करने से भगवान गणेश आपको आशीर्वाद देंगे और साथ ही जीवन में तरक्की भी प्रदान करेंगे।

मेष राशि: ॐ वक्रतुण्डाय हूं
वृष राशि: ॐ हीं ग्रीं हीं
मिथुन राशि: ॐ गं गणपतये नमः
कर्क राशि: ॐ वक्रतुण्डाय हूं
सिंह राशि: ॐ सुमंगलाये नम:
कन्या राशि: ॐ चिंतामण्ये नम:
तुला राशि: ॐ वक्रतुण्डाय नम:
वृश्चिक राशि: ॐ नमो भगवते गजाननाय
धनु राशि: ॐ गं गणपते मंत्र
मकर राशि: ॐ गं नम:
कुंभ राशि: ॐ गण मुक्तये फट्
मीन राशि: ॐ गं गणपतये नमः

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