मुंबई- महिलाओं के गर्भधारण से पहले से लेकर बच्चे के 2 साल होने तक लगनेवाले सभी आवश्यक गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने ‘वात्सल्य’ नामक योजना शुरू की है। इस आशय का शासनादेश भी जारी किया गया है। माता मृत्यु और बाल मृत्यु को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। इसी कड़ी में डॉ. तानाजी सावंत ने गर्भधारण पूर्व माताओं को होनेवाली स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए वात्सल्य योजना राज्यभर में शुरू की है। इस योजना में प्रसूति से पहले और प्रसूति के पश्चात साथ ही बच्चे के 2 वर्ष होने तक सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मानकों पर बारीकी से नजर रखते हुए लाभार्थियों को समग्र स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए विशेष नियोजन किया गया है।
जन्मजात दोषों को कम करने में कारगर होगी
योजना जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं और जन्म दोषों की घटनाओं को कम करने में यह योजना मददगार साबित होगी। दंपति और गर्भवती माताओं की आवश्यक जांच करके उच्च जोखिम वाली माताओं का शीघ्र निदान और 1000 दिनों तक बच्चों के विकास मूल्यांकन के लिए आवश्यक सेवाएं योजना के माध्यम से प्रदान की जाएगी। इस योजना योजना के अपेक्षित लाभार्थियों में वे जोड़े है जो परिवार नियोजन उपकरणों का उपयोग नहीं करते हैं, प्रसवपूर्व अवधि में माताएं और गर्भवती महिलाओं केसाथ रहनेवाला व्यक्ति और दो वर्ष से कम उम्र के शिशु शामिल हैं।
योजना के अंतर्गत निर्धारित स्वास्थ्य सेवाएं
इस योजना के तहत गर्भधारण पूर्व स्वास्थ्य जांच सेवाओं को प्राथमिकता के आधार पर समाहित किया जाएगा और इसे अन्य मौजूदा स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ एकीकृत किया गया है। परिवार नियोजन उपकरणों का उपयोग नहीं करने वाले दंपतियों की जांच, उपचार और परामर्श, गर्भावस्था से पहले, प्रसवोत्तर और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान माताओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिमों की पहचान और प्रभावी प्रबंधन, माताओं का वजन बढ़ाने के लिए नियमित निगरानी और उचित देखभाल।
बच्चों का विकास, जन्म के समय शिशु पर विशेष ध्यान, तत्काल स्तनपान की निगरानी, जन्म से छह महीने तक केवल स्तनपान और छह महीने के बाद उचित पूरक आहार, विकास चार्ट के माध्यम से बच्चे के वजन बढ़ने की निगरानी के साथ ही सतर्कता, एचबीएनसी,एचबीएनवाईसी, पीएमएसएमए, आरकेएसके जैसे अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समन्वय किया जाएगा। माता एवं शिशु स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए आईसीडीएस, डब्ल्यूसीडी, आदिवासी विकास विभाग और अन्य विभागों को शामिल किया जाएगा।