मुंबई- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार, राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी एवं अन्य सभी संस्थानों में विभिन्न भर्तियों के लिए दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए सार्वभौमिक पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में दिव्यांग कल्याण विभाग द्वारा एक सरकारी निर्णय जारी किया गया है।
कार्रवाई करने के निर्देश
विभिन्न सरकारी, अर्ध-सरकारी एवं अन्य सभी प्राधिकरणों, संस्थानों आदि में भर्ती हेतु आवेदन प्राप्त करते समय, दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित पदों हेतु संबंधित दिव्यांगजन के सार्वभौमिक पहचान पत्र का क्रमांक दर्ज करना और प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रति संलग्न करना आवश्यक है। सभी मंत्रालयिक विभागों के साथ-साथ उनके प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सभी प्रतिष्ठानों, विभागाध्यक्षों, कार्यालयाध्यक्षों और स्वायत्त संस्थाओं को अपने प्रतिष्ठानों में दिव्यांग आरक्षण के अंतर्गत कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
सत्यापन कर की जाए जाँच
निःशक्तता आरक्षण के अंतर्गत नियुक्ति, पदोन्नति एवं अन्य शासकीय योजनाओं एवं रियायतों का लाभ ले रहे सभी निःशक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जाँच की जाए कि उन्होंने अपना निःशक्तता प्रमाण पत्र या सार्वभौमिक पहचान पत्र प्रस्तुत किया है या नहीं तथा उनकी निःशक्तता का सत्यापन किया जाए। जिन निःशक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपना निःशक्तता प्रमाण पत्र या सार्वभौमिक पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं किया है, उनका सत्यापन कर उनकी जाँच की जाए।
जिनकी निःशक्तता प्रतिशत लक्षणात्मक निःशक्तता (40 प्रतिशत) से कम है।
यदि शासकीय सेवा में कार्यरत किसी अधिकारी या कर्मचारी के पास गलत या फर्जी निःशक्तता प्रमाण पत्र/सार्वभौमिक पहचान पत्र पाया जाता है, तो ऐसे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध निःशक्तजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के अनुसार कार्यवाही की जाए। उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाए। साथ ही, उनके द्वारा प्राप्त लाभों की वसूली भी की जाए।
इसके पश्चात, यदि प्रशासकीय विभाग, नियुक्ति प्राधिकारी, स्थापना अधिकारी को किसी निःशक्त अधिकारी या कर्मचारी की निःशक्तता के संबंध में कोई संदेह हो, तो नियुक्ति प्राधिकारी को ऐसे निःशक्त अधिकारी या कर्मचारी की निःशक्तता के साथ-साथ निःशक्तता प्रमाण पत्र का भी सत्यापन करने का पूर्ण अधिकार होगा।