नई दिल्ली- यूजीसी ने विदेशी विश्वविद्यालयों से प्राप्त डिग्री को समकक्षता प्रदान करने और मान्यता देने के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार किया है। इसमें दूरस्थ और आनलाइन मोड के साथ-साथ किसी भी फ्रेंचाइजी समझौते के माध्यम से प्राप्त डिग्रियों को प्रतिबंधित किया गया है। आयोग ने 16 सितंबर तक दिशानिर्देशों के मसौदे पर पक्षकारों से सुझाव मांगे हैं।
यूजीसी ने विदेशी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों, विदेशी संस्थानों के देश के बाहरी परिसरों से प्राप्त डिग्री को मान्यता को लेकर भी मानदंड तैयार किए हैं। इसमें कहा गया है कि किसी विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान से प्राप्त योग्यता को मान्यता और समकक्षता प्रदान की जाएगी,बशर्ते वह संस्थान अपने देश में विधिवत मान्यता प्राप्त हो।
प्रवेश मानदंड की समानता
पाठ्यक्रम नियमित हो न कि आनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पूरा किया गया हो। साथ ही कहा गया है कि प्रवेश मानदंड की समानता भारत और विदेश में कार्यक्रम की न्यूनतम अवधि की समानता के आधार पर की जाएगी। यह निर्धारण इसके लिए गठित स्थायी समिति करेगी। कार्यक्रम की न्यूनतम अवधि भारत में संबंधित कार्यक्रम के समान होनी चाहिए। अवधि अलग होने पर यूजीसी न्यूनतम क्रेडिट जरूरतों पर विचार करेगा, जो दोनों संस्थानों में समान होनी चाहिए।
आवेदनों को लेकर एक आनलाइन पोर्टल
विदेशी संस्थानों की डिग्री को समकक्षता प्रदान करने के लिए आए आवेदनों को लेकर एक आनलाइन पोर्टल होगा। यह विदेशी योग्यता और भारतीय बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा समान स्तर पर प्रदान की गई योग्यता के बीच समानता को प्रमाणित करेगा। प्रवेश या रोजगार के लिए भारत में विश्वविद्यालयों द्वारा समकक्षता प्रमाणपत्र भी स्वीकार किया जाएगा।
ये नियम ऐसे समय में आए हैं, जब विदेशी विश्वविद्यालय गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में परिसर स्थापित करने के अंतिम चरण में हैं और भारतीय विश्वविद्यालय दोहरी या संयुक्त डिग्री प्रदान करने के लिए विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग कर रहे हैं।