चार साल में मिलेगी ‘ऑनर्स’ की डिग्री, UGC ने अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए लांच किया नया फ्रेमवर्क

 यूनिवर्सिटी ग्रैंट्स कमीशन ने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए नया फ्रेमवर्क लांच किया है. एनईपी की सिफारिशों पर आधारित इस नए करिकुलम में क्या बदलाव हुए हैं, जानते हैं.

UGC New Curriculum and Credit Framework: यूजीसी ने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए नया करीकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क लांच किया है. ये करीकुलम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की सिफारिशों पर आधारित है. इसके तहत नियमों में लचीलापन आएगा और छात्रों को पहले से ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी. ग्रेजुएशन में क्रेडिट सिस्टम लागू होगा और

जानिए नये फ्रेमवर्क में क्या कुछ बदलेगा

  • यूजीसी द्वारा लांच किया गया नया फ्रेम वर्क एचईआई यानी हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए है.
  • नये करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) को बदल दिया गया है.
  • अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को तीन या चार साल या उससे भी कम में पूरा किया जा सकता है और उसी अनुसार कैंडिडेट को डिग्री दी जाएगी.
  • एक साल या दो सेमेस्टर पूरा करने पर स्टूडेंट द्वारा चुने गई फील्ड में यूजी सर्टिफिकेट मिलेगा.
  • दो साल या चार सेमेस्टर के बाद एग्जिट करने पर यूजी डिप्लोमा मिलेगा.
  • तीन साल और 6 सेमेस्टर के बाद बैचलर की डिग्री मिलेगी और चार साल या आठ सेमेस्टर पूरा करने पर ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी.
  • इस प्रकार स्टूडेंट किसी भी लेवल पर एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं.
  • चौथे साल के बाद जिन छात्रों ने पहले 6 सेमेस्टर में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाए हैं, वे रिसर्च स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं. ये शोध मेजर डिस्प्लिन में किया जा सकता है.
  • कैंडिडेट एक संस्थान से दूसरे में जा सकते हैं साथ ही लर्निंग का मोड भी चेंज कर सकते हैं जैसे ओडीएल, ऑफलाइन या हाईब्रिड.
  • स्टूडेंट्स को इनरोल होते हुए स्टडीज से ब्रेक भी मिल सकता है लेकिन उन्हें अधिकतम 7 साल में डिग्री पूरी करनी होगी.

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