भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ आज से हुआ लागू

नई दिल्ली – भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर आज यानी, 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया टैरिफ भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकता है।50% टैरिफ से अमेरिका में बिकने वाले कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे। इससे इनकी मांग में 70% की कमी आ सकती है।चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे कम टैरिफ वाले देश इन सामानों को सस्ते दाम पर बेचेंगे। इससे भारतीय कंपनियों की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी कम होगी।

मशीनरी और कलपुर्जे: ऑटोमोटिव पार्ट्स पर सबसे ज्यादा असर

भारत ने 2024 में 19.16 बिलियन डॉलर (करीब 1.68 लाख करोड़ रुपए) के इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात किए। इसमें स्टील प्रोडक्ट्स, मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, और अन्य औद्योगिक उपकरण शामिल हैं। अमेरिका कारों, छोटे ट्रकों और उनके पार्ट्स पर 25% शुल्क लगा रहा था, जबकि कॉमर्शियल वाहनों के पुर्जों पर यह शुल्क 10% था।अमेरिका भारतीय ऑटो पार्ट्स के लिए सबसे बड़ा बाजार है।

FY25 में ऑटो पार्ट्स के कुल निर्यात का लगभग 32% हिस्सा अमेरिका को गया।टैरिफ बढ़ोतरी से 7 बिलियन डॉलर (लगभग ₹61,000 करोड़) के सालाना ऑटो पार्ट्स निर्यात में से ₹30,000 करोड़ का निर्यात प्रभावित हो सकता है।वहीं इंजीनियरिंग गुड्स छोटे और मध्यम उद्यम सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे जो इंजीनियरिंग गुड्स के 40% निर्यात में योगदान देते हैं। इससे हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

क्या कर सकता है भारत?

  • यूरोप (जर्मनी, UK) और ASEAN देशों (सिंगापुर, मलेशिया) में इंजीनियरिंग गुड्स की मांग बढ़ रही है। भारत इन बाजारों में हिस्सेदारी बढ़ा सकता है।
  • इंजीनियरिंग गुड्स के लिए PLI स्कीम का विस्तार करके उत्पादन लागत को कम करना, ताकि कंपनियां अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी रहें।

इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन पर ज्यादा असर

भारत ने 2024 में अमेरिका को 14 बिलियन डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़ रुपए) के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात किया था। इसमें स्मार्टफोन, खासतौर पर आईफोन का बड़ा हिस्सा है। भारत अमेरिका में आईफोन का सबसे बड़ा सप्लायर है। अप्रैल में जब डोनाल्ड ट्रम्प ने पहली बार टैरिफ का ऐलान किया था, उससे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स पर एवरेज 0.41% का टैरिफ लगता था।अभी इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट है। जब तक सेक्शन 232 टैरिफ की घोषणा नहीं होती तब तक अमेरिका को एपल, सैमसंग जैसे स्मार्टफोन्स के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

सेक्शन 232 अमेरिकी व्यापार विस्तार अधिनियम 1962 का हिस्सा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर आयात पर टैरिफ लगाने की अनुमति देता है।सेक्शन 232 की समीक्षा के बाद टैरिफ पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सेक्शन 232 टैरिफ की घोषणा के बाद अगर 50% का नया टैरिफ लागू होता है तो अमेरिका में भारत से एक्सपोर्ट होने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगे हो जाएंगे। कंपनियां अमेरिका को भेजे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम को किसी और देश में बनाने पर विचार कर सकती हैं।

क्या कर सकता है भारत?

  • स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर्स को टैरिफ से छूट बनाए रखने के लिए बातचीत करना।
  • घरेलू बाजार को मजबूत करने और नए ब्रांड्स विकसित करने पर जोर देना।

फार्मा: 250% टैरिफ लगाने की धमकी

भारत ने 2024 में अमेरिका को 10.52 बिलियन डॉलर यानी, करीब 92 हजार करोड़ रुपए की दवाओं का निर्यात किया था। ये अमेरिकी फार्मा एक्सपोर्ट का करीब 40% हिस्सा है। अगर ये लागू होता है तो अमेरिका और भारत दोनों पर असर पड़ेगा।अभी फार्मा को छूट है, लेकिन ट्रम्प ने 18 महीने में 150% और बाद में 250% टैरिफ की धमकी दी है। 100 डॉलर की दवा की कीमत दोगुनी हो जाएगी। इससे सन फार्मा, डॉ. रेड्डी, सिप्ला, ल्यूपिन जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों को नुकसान होगा।

क्या कर सकता है भारत?

  • जेनेरिक दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर जोर देना।
  • यूरोप और लैटिन अमेरिका जैसे वैकल्पिक बाजारों में निर्यात बढ़ाना।

जेम्स एंड ज्वेलरी: टैरिफ से पहले एक्सपोर्ट डबल

भारत ने 2024 में अमेरिका को 9.94 बिलियन डॉलर (करीब 87 हजार करोड़) के रत्न और आभूषण एक्सपोर्ट किए थे। ये अमेरिकी हीरा आयात का 44.5% है। कुछ आभूषणों पर पहले से ही 25% तक टैरिफ था।नया टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है। कीमत बढ़ने से निर्यात में 15-30% की कमी संभव है। अमेरिकी खरीदार सस्ते विकल्पों की ओर जा सकते हैं, जिससे भारतीय कारीगरों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।वहीं भारतीय कंपनियां दुबई और मेक्सिको जैसे देशों में मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं स्थापित करने पर विचार कर सकती हैं जहां टैरिफ कम हैं। दुबई में यह शुल्क सिर्फ 10% और मेक्सिको में 25% है, जबकि भारत को अब 50% का भुगतान करना होगा।

क्या कर सकता है भारत?

  • भारत-अमेरिका बाइलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट को तेजी से पूरा करने पर जोर दे सकता है।
  • यूरोपीय बाजारों में डायमंड निर्यात बढ़ाना।

टेक्सटाइल: कपड़ों की मांग पर ब्रेक

भारत ने 2024 में अमेरिका को 10 बिलियन डॉलर, यानी करीब 87 हजार करोड़ के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट किए थे। इसमें रेडीमेड गार्मेंट से लेकर कॉटन यार्न और कारपेट शामिल है।इस साल की पहली तिमाही में भारत का कुल निर्यात 10% बढ़कर 4 बिलियन डॉलर हो गया, जिसमें अमेरिका को निर्यात 14% बढ़ा।नए टैरिफ से 50% भारतीय कपड़ों के कीमत बढ़ सकती है। कंपड़ों की मांग में 20-25% की कमी संभव है। अमेरिका में भारत के कपड़ा निर्यात का हिस्सा पिछले साल के 33% से घटकर इस साल 20-25% रह जाएगा।

क्या कर सकता है भारत?

  • अब भारतीय कपड़ा कंपनियों को यूरोपीय संघ (EU), यूनाइटेड किंगडम (UK) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे अन्य बड़े निर्यात बाजारों पर ध्यान देना होगा, जो भारत के कुल निर्यात का 45% हैं।
  • भारत के कपड़ा उद्योग ने सरकार से कच्चे कपास पर 11% का आयात शुल्क हटाने का सुझाव दिया है। इस कदम से अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में एक मजबूत सौदेबाजी का मौका मिल सकता है।

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