दुनिया के सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) ने इस साल 1161 करोड़ रुपए की एफडी कराई है। पिछले 12 सालों में यहां सबसे ज्यादा है। यह ट्रस्ट दुनिया का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट देश का एकमात्र हिंदू धार्मिक ट्रस्ट है, जो पिछले 12 सालों में साल दर साल लगातार 500 करोड़ रुपए या उससे ज्यादा की रकम जमा कर रहा है।2012 तक, ट्रस्ट का फिक्स डिपॉजिट 4820 करोड़ रुपए था। इसके बाद तिरुपति ट्रस्ट ने 2013 से 2024 के बीच 8467 करोड़ रुपए की रकम जमा की है। यह देश के किसी भी मंदिर ट्रस्ट के लिए सबसे ज्यादा है। ट्रस्ट की बैंकों में कुलएफडी 13,287 करोड़ रुपए हो गई है।
इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट की ओर से संचालित कई ट्रस्ट जिसमें श्री वेंकटेश्वर नित्य अन्नप्रसादम ट्रस्ट, श्री वेंकटेश्वर प्राणदानम ट्रस्ट आदि है, जिन्हें भक्तों से पर्याप्त दान मिलता है। उनकी करीब 5529 करोड़ रुपए कीफिक्स डिपॉजिट हो गई है।
बैंक बैलेंस बढ़कर 18817 करोड़ रुपए पहुंचा
सभी बैंकों और ट्रस्टों में तिरुपति ट्रस्ट की नकदी 18817 करोड़ रुपए तक हो गई है। जो इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी रकम है। ट्रस्ट अपनी एफडी पर ब्याज के रूप में सालाना लगभग 1,600 करोड़ रुपए की राशि कमाता है। इसके अलावा हाल ही में 1,031 किलोग्राम सोने की जमा के बाद, बैंकों में मंदिर का सोना भंडार भी बढ़कर 11,329 किलोग्राम हो गया है।
2012 में ट्रस्ट की एफडी 4820 करोड़ रुपए थी
साल दर साल तिरुपति ट्रस्ट की फिक्स डिपॉजिट में बढ़ोतरी हो रही है। 2013 में 608 करोड़, 2014 में 970 करोड़, 2015 में 961 करोड़, 2016 में 1153 करोड़, 2017 में 774 करोड़, 2018 में 501 करोड़ की एफडी हुई थी। पिछले 12 सालों में पहली बार कोरोना काल में एफडी की राशि घट गई थी। 2019 में 285 करोड़, 2020 में 753 करोड़, 2021 में 270 करोड़, 2022 में 274 करोड़ की एफडी हुई थी। पिछले साल ट्रस्ट ने 757 करोड़ की एफडी कराई थी।
- यहां बालों का दान किया जाता है : मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।
- भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र : सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है।
- भगवान विष्णु को कहते हैं व्यंकटेश्वर : इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है।इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।
- सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन: मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।
- भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात दर्शन : यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।