पिंडदान और श्राद्ध-तर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं ये तीर्थ

नई -दिली अभी श्राद्ध पक्ष चल रहा है, पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करने का ये पर्व 2 अक्टूबर तक चलेगा। इन दिनों में घर के अलावा पितरों से जुड़े तीर्थों में भी पितरों के लिए धर्म-कर्म किए जाते हैं। देशभर में कई ऐसी जगहें हैं, जो पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण आदि धर्म-कर्म के लिए प्रसिद्ध हैं।

ब्रह्म कपाल (उत्तराखंड)

यह स्थान बद्रीनाथ के निकट ही है, जिसे श्राद्ध कर्म के लिए काफी पवित्र माना गया है। पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि ब्रह्मकपाल में श्राद्ध कर्म करने के बाद पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति यहां आकर पिंडदान करता है उसे फिर कभी पिंडदान की आवश्यकता नहीं होती।

हरिद्वार में पिंडदान

हरिद्वार भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह गंगा के तट पर बसा हुआ एक खूबसूरत शहर है और शाम की आरती के समय तो इसकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है। एक सामन्य मान्यता है कि यहां गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और यदि यहां किसी का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो उसकी आत्मा स्वर्ग पधारती है। माना जाता है कि हरिद्वार के नारायणी शिला पर तर्पण करने से पितरों की को मोक्ष प्राप्ति होती है, पुराणों में भी इसका वर्णन किया गया है। पिंडदान समारोह, यदि यहां आयोजित किया जाता है, तो दिवंगत की आत्मा को स्थायी शांति मिलती है और परिवार के जीवित सदस्यों को भी खुशी मिलती है।

मथुरा में पिंडदान

भव्य मंदिरों से सुशोभित, मथुरा शहर को भारत और उसके बाहर एक पवित्र स्थान का दर्जा प्राप्त है। ये एक पवित्र तीर्थ शहर है और पिंड दान समारोहों के लिए पसंदीदा स्थानों में से एक भी है। इस तरह के अनुष्ठान यमुना नदी के तट पर स्थित बोधिनी तीर्थ, विश्रंती तीर्थ और वायु तीर्थ पर आयोजित किए जाते हैं। सात पिंड या चावल में मिक्स गेहूं के आटे से बने गोले, शहद और दूध के साथ मृतक और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रसाद के रूप में तैयार किए जाते हैं और इन्हें मंत्रों के जाप के दौरान चढ़ाया जाता है। मथुरा में तर्पण कर लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्‍न करते हैं।

अयोध्या में पिंडदान

राम जन्मभूमि भी एक तीर्थ स्थान है और पिंड दान समारोहों के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। पवित्र सरयू नदी के तट पर भात कुंड है जहां लोग हिंदू ब्राह्मण पुजारी की अध्यक्षता में अनुष्ठान करने के अपने दायित्व को पूरा करते हैं। एक प्रथा के रूप में, लोग अपने पूर्वजों के लिए यहां हवन भी करवाते हैं। परिवार पहले नदी में डुबकी लगाते हैं और फिर अनुष्ठान के लिए बैठते हैं, जिसके बाद वे गरीबों को भिक्षा देते हैं और फिर घर लौट जाते हैं। अयोध्या में पर्यटकों के देखने के लिए बहुत कुछ है उनमें से कुछ प्रमुख – फैजाबाद, बिठूर, जौनपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़ और बस्ती है जहां लोग यात्रा करने के लिए जरूर जाते हैं।

वाराणसी में पिंडदान

वाराणसी भारत की सबसे पवित्र नदियों के तट पर स्थित है। गंगा और इस शहर को भारत के सबसे शीर्ष तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। काशी में गंगा नदी के तट पर लोग अपने मृत पूर्वजों के लिए हवन करवाते हैं, जहां स्थानीय ब्राह्मण पंडित अनुष्ठान शुरू करते हैं जिसमें मंत्र जप और फिर पिंड का प्रसाद होता है। पैतृक संस्कारों के अलावा, लोग काशी विश्वनाथ मंदिर और शहर के अन्य संबंधित मंदिरों में जाकर भी दर्शन करना बेहद पसंद करते हैं। वाराणसी (बनारस) की यात्रा में आमतौर पर शहर के कोने-कोने को देखने के लिए कम से कम 4 से 5 दिन लगते हैं। उसके बाद, पर्यटक आस-पास की जगहों के लिए भी प्रस्थान करते हैं।

जगन्नाथ पूरी में पिंडदान

उड़ीसा राज्य में बंगाल की खाड़ी के समुद्र तट पर स्थित पुरी जगन्नाथ मंदिर और वार्षिक रथ यात्रा के लिए बेहतर जाना जाता है। पुरी महानदी और भार्गवी नदी के तट पर स्थित है और इसलिए, संगम को पवित्र और पिंड दान समारोह का आदर्श स्थान माना जाता है। जगन्नाथ पुरी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रमुख चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है। अत: सभी कोणों से यहाँ किया गया पिंडदान परिवार के सदस्यों को पुण्य और आत्मा को शांति प्रदान करता है। हालांकि, यह शहर केवल अनुष्ठान के लिए ही लोकप्रिय नहीं है, यहां के समुद्र तट, प्राचीन स्मारक और स्थानीय भोजन भी लोगों को बेहद पसंद आते हैं।

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