दस साल में टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी, क्या मिडल क्लास पर कम हुआ बोझ?

नई दिल्ली-पिछले दस सालों में इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वालों की संख्या में 120 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मध्यम वर्ग पर इनकम टैक्स का बोझ कम हुआ है। सालाना 20 लाख तक कमाने वाले मध्यम वर्ग को 10 साल पहले के मुकाबले अब कम टैक्स देना पड़ रहा है।

इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक 2014 में मोदी सरकार के गठन से पहले के वित्त वर्ष 2013-14 में सालाना 10-15 लाख कमाने वाले औसतन 2.3 लाख रुपए टैक्स देते थे जबकि अब उन्हें औसतन 1.1 लाख रुपए टैक्स देना पड़ रहा है। सालाना 15-20 लाख रुपए कमाने वालों को दस साल पहले औसतन 4.1 लाख रुपए टैक्स देना पड़ता था। वर्तमान में उनका यह टैक्स 1.7 लाख रह गया है।

10 लाख तक कमाने वालों पर घटा टैक्स बोझ

10 साल पहले सालाना 2.5 लाख से सात लाख तक कमाने वालों को भी 25,000 रुपए तक का टैक्स देना पड़ता था। अब इस वर्ग को कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। इनकम टैक्स संग्रह में सालाना 10 लाख रुपए से कम कमाने वालों की हिस्सेदारी घटकर 6.22 प्रतिशत रह गई है जबकि वर्ष 2014 से पहले यूपीए के शासन काल में इस वर्ग की हिस्सेदारी 10.17 प्रतिशत थी। इसका मतलब 10 लाख तक कमाने वालों पर टैक्स का अधिक बोझ था। दूसरी तरफ अब 50 लाख से अधिक कमाने वालों का टैक्स योगदान बढ़ता जा रहा है। 50 लाख से अधिक कमाने वालों के आईटीआर की संख्या में पिछले 10 सालों में 391 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2013-14 में इनकी संख्या 1.85 लाख थी जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख हो गई।

50 लाख से अधिक कमाने वाले टैक्सपेयर्स बढ़े

वित्त वर्ष 2013-14 में सालाना 50 लाख से अधिक कमाने वालों ने 2.52 लाख करोड़ रुपए इनकम टैक्स दिए थे। वित्त वर्ष 2023-24 में इस वर्ग ने 9.62 लाख करोड़ का टैक्स दिया है। इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में मोदी सरकार के गठन से पहले के वित्त वर्ष 2013-14 में 3.6 करोड़ लोगों ने आईटीआर दाखिल किया था जबकि गत वित्त वर्ष 2023-24 में आईटीआर दाखिल करने वालों की संख्या बढ़कर 7.9 करोड़ हो गई। इनकम टैक्स विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक आर्थिक विकास, नीतिगत फैसले और नियमों के पालन से टैक्स का दायरा और टैक्स के संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में विभाग ने 22 लाख करोड़ टैक्स के संग्रह का लक्ष्य रखा है और नवंबर के पहले सप्ताह तक 12.10 लाख करोड़ का संग्रह किया जा चुका है।

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