नई दिल्ली- एमबीबीएस करने वाले छात्रों को अब एडमिशन की तारीख से नौ साल के भीतर कोर्स पूरा करना होगा जबकि उन्हें फर्स्ट ईयर की परीक्षा पास करने के लिए सिर्फ चार अवसर मिलेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नीट का रिजल्ट जारी होने से पहले मेडिकल की पढ़ाई से संबंधित नए नियम जारी किए हैं।
नौ साल में पूरा करना होगा कोर्स
ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 2023 यानी जीएमईआर-23 के अनुसार नीट-यूजी मेरिट लिस्ट के आधार पर देश के सभी मेडिकल संस्थानों में ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन के लिए एक कामन काउंसलिंग होगी। एनएमसी ने दो जून को जारी अधिसूचना में कहा कि किसी भी परिस्थिति में छात्र को फर्स्ट ईयर (एमबीबीएस) के लिए चार से अधिक प्रयास की अनुमति नहीं दी जाएगी और किसी भी छात्र को कोर्स में एडमिशन की तारीख से नौ साल बाद ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इंटर्नशिप पूरी करना होगा जरूरी
कंप्लसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप रेगुलेशन, 2021 के अनुसार ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स प्रोग्राम में भर्ती हुए छात्र को ग्रेजुएट तब तक पूरा नहीं माना जाएगा जब तक कि वह अपनी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप पूरी नहीं कर लेता। एनएमसी ने कहा है कि नीट-यूजी की योग्यता सूची के आधार पर देश के सभी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सा स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए कामन काउंसलिंग होगी।
एनएमसी की सीटों पर होगी काउंसलिंग
अधिसूचना के अनुसार काउंसलिंग पूरी तरह से एनएमसी द्वारा प्रदान की गई सीटों पर आधारित होगी। आवश्यकता अनुसार कामन काउंसलिंग के कई चरण हो सकते हैं। अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) कामन काउंसलिंग के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा और नामित अथार्टी जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप काउंसलिंग का आयोजन करेगी। सरकार काउंसलिंग के लिए एक नामित अथार्टी नियुक्त करेगी। कोई भी चिकित्सा संस्थान इन नियमों का उल्लंघन कर किसी भी उम्मीदवार को स्नातक चिकित्सा शिक्षा (जीएमई) पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं देगा।