Thursday, July 25, 2024
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इंजन ऑयल को फेंकना या जलाना पड़ेगा भारी,सरकार ने जारी किया नया करार

नई दिल्ली- जल और वायु प्रदूषण के लिए प्रयुक्त हो चुका इंजन ऑयल (यूज्ड लुब्रिकेंट) जिस तरह से एक बड़ा खतरा बन गया है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अब ई-वेस्ट की तरह इसके संग्रहण और री-साइकलिंग को लेकर सख्ती की तैयारी में है, जिसमें इसे खुले में फेंकना व जलाना महंगा पड़ेगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माने सहित आपराधिक कार्रवाइयां भी हो सकती है। इसे लेकर करार बना लिया गया है। जिसके तहत एक अप्रैल 2024 से इससे जुड़े नियमों को प्रभावी तरीके से लागू करने की तैयारी है।

इंजन ऑयल बड़े पैमाने पर करता है पानी दूषित

प्रयुक्त इंजन ऑयल के संग्रहण और री-साइक्लिंग को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने यह तेजी तब दिखाई है, जब देश में काम में लाए जाने वाले इंजन ऑयल के सिर्फ दस प्रतिशत हिस्से का संग्रहण और री-साइक्लिंग हो पा रहा है, बाकी 90 प्रतिशत हिस्सा काम में लिए जाने के बाद या तो खुले में फेंक दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है। ऐसे में खुले में फेंका गया यह इंजन ऑयल जमीन में अवशोषित होकर भूमिगत जल में मिल जाता है या नालियों-नालों के जरिए बहकर नदियों में पहुंच जाता है जो ताजे या स्वच्छ पानी में घुलकर इसे प्रदूषित कर रहा है।

एक लीटर यूज्ड इंजन ऑयल से दस लाख लीटर पानी हो सकता है दूषित

एक लीटर यूज्ड इंजन ऑयल दस लाख लीटर ताजे पानी को दूषित कर सकता है। जिससे पचास लोगों के लिए एक वर्ष तक जलापूर्ति हो सकती है। वैसे भी इनमें गंदगी सहित बेंजीन,सीसा, जस्ता और कैडमियम जैसे जहरीले पदार्थ पानी में घुलकर जो मानव जीवन व जलीय जीवों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते है। वहीं, इसके जलाने से वायु प्रदूषण को भी बड़ा खतरा है।

देश में तीन बिलियन लीटर होता है इंजय ऑयल का उत्पादन

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा समय में देश में हर साल करीब तीन बिलियन लीटर इंजन ऑयल का उत्पादन होता है, जिसमें से मौजूदा समय में करीब 10 प्रतिशत ही संग्रहित या फिर रीसाइक्लिंग हो पाता है और बाकी फेंक दिया जाता है। ऐसे में समय रहते यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले दिनों में लोगों को स्वच्छ पीने का पानी भी नहीं मिलेगा। मौजूदा समय में देश में भूमिगत जल, तालाब व नदियां ही पेयजल के बड़े स्त्रोत है।

मसौदा के तहत 60 प्रतिशत ऑयल को किया जाएगा संग्रहीत

फिलहाल मंत्रालय ने इस चुनौती से निपटने के लिए जो मसौदा तैयार किया है, उसके तहत देश में हर साल उत्पादित होने वाले इंजन ऑयल की 60 प्रतिशत हिस्सा संग्रहीत किया जाएगा व बाद में उसे रीसाइकल भी किया जाएगा। शुरूआत में इस लक्ष्य को उत्पादित होने वाले इंजन ऑयल का सिर्फ दस प्रतिशत ही रखा गया है, जिसमें हर साल दस प्रतिशत का इजाफा होगा।

उत्पादन करने वाली कंपनी की होगी रीसाइक्लिंग की जिम्मेदारी

इसे लेकर प्रस्तावित नियमों के तहत इनके संग्रहण व रीसाइक्लिंग की जिम्मेदारी भी ई-वेस्ट से जुड़े नियमों की तरह उत्पादित करने वाली कंपनी की होगी। जिसे हर साल उत्पादन की मंजूरी के साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास निर्धारित मात्रा के यूज्ड ईंजन ऑयल के रीसाइक्लिंग का सर्टीफिकेट जमा कराना होगा।

ऐसा न करने पर उनके उत्पादन पर रोक के साथ ही भारी जुर्माना और जेल जैसी कार्रवाइयों का भी सामना करना होगा। इसके साथ ही इस पूरी व्यवस्था में उत्पादक के साथ आयातक और संग्रहण एजेंट, री-साइक्लर आदि की भी जवाबदेही तय की गई है।

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