नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब किसी दृष्टिबाधित ने एड्वोकेट ऑन रिकॉर्ड या AOR परीक्षा पास कर ली है। चेन्नई से आने वाले एड्वोकेट एन विशाखामूर्ति ने पहले ही प्रयास में यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने बताया है कि इस सफलता में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की बड़ी भूमिका बताई है।लाइव लॉ से बातचीत में विशाखामूर्ति ने कहा, ‘मैं भारत के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, भारत के एटॉर्नी जनरल और कानूनी मामलों के विभाग के सचिव का उनके समर्थन के लिए विशेष धन्यवाद करना चाहूंगा। उन्होंने मेरी काफी मदद की है।’ खास बात है कि उन्होंने इस दौरान परीक्षा के ढांचे में कुछ खामियों की ओर भी इशारा किया है।
उन्होंने कहा, ‘किसी दृष्टिबाधित के लिए एग्जाम पैटर्न और खासतौर से ड्राफ्टिंग आदि जैसी चीजें ठीक नहीं थीं। ओपन बुक परीक्षा हमारे लिए क्लोज्ड बुक परीक्षा थी। कुछ पेपर्स की बात करें, तो अगर कोई विषय को नहीं जानता है तो इसके बारे में समझाना बहुत मुश्किल हो जाता था। साथ ही उसके मुझे केवल एक ही घंटा अतिरिक्त समय मिला और स्पेशल करेक्शन के अनुरोध को भी नहीं माना गया।’
AoR परीक्षा के नतीजे 18 अप्रैल को ही घोषित हुए हैं। खास बात है कि विशाखामूर्ति साल 2018 में यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) की तरफ से आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर चुके हैं। इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट के सेंट्रल एजेंसी सेक्शन में एडिशनल गवर्नमेंट एड्वोकेट नियुक्त किया गया था। हालांकि, दृष्टिबाधित होने के कारण तब उन्हें सर्विस में शामिल होने की अनुमति नहीं थी, लेकिन 2021 में उन्हें सेंट्रल एजेंसी सेक्शन का हिस्सा बनने दिया गया।