नवरात्रि से पहले 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण, देश के लिए नहीं रहेगी धार्मिक मान्यता और सूतक

नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो रही है, ठीक इससे एक दिन पहले यानी शनिवार, 14 अक्टूबर को आश्विन मास की अमावस्या पर सूर्य ग्रहण हो रहा है। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस कारण देश में सूर्य ग्रहण की कोई धार्मिक मान्यता नहीं रहेगी, इसका सूतक भी नहीं रहेगा।  भारतीय समय अनुसार 14 अक्टूबर की रात करीब 8.30 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होगा और रात 2.25 बजे खत्म होगा। ये ग्रहण अमेरिका और अफ्रिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।

जहां दिखाई देता है ग्रहण वहां होती है धार्मिक मान्यता

सूर्य ग्रहण खगोलीय घटना है, लेकिन इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी काफी अधिक हैं। जिन जगहों पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां ग्रहण शुरू होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। 14 अक्टूबर का ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस कारण देश में इसका सूतक नहीं रहेगा।

सूतक के समय नहीं किए जाते हैं पूजा-पाठ

ग्रहण के सूतक के समय में पूजा-पाठ, किसी नए काम की शुरुआत, जनेऊ, मुंडन, विवाह जैसे शुभ संस्कार नहीं किए जाते हैं। इसी वजह से ग्रहण का सूतक शुरू होते ही मंदिर बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों की साफ-सफाई होती है, इसके बाद मंदिर भक्तों के लिए खोले जाते हैं। सूतक में दान-पुण्य, धीमी आवाज में मंत्र जप, ध्यान जैसे शुभ कर्म किए जा सकते हैं।

ये है ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता

सूर्य और चंद्र ग्रहण की मान्यता राहु से जुड़ी है। धार्मिक मान्यता है कि राहु जब सूर्य और चंद्र ग्रसता है, इसे ही ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण अमावस्या पर होता है और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर।पौराणिक कथा है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत निकला था। विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृतपान करा रहे थे, उस समय राहु नाम का असुर देवताओं का वेष बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और अमृत पी लिया।

सूर्य और चंद्र ने राहु को पहचान लिया और तुरंत ही विष्णु जी को बता दिया। विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन राहु मरा नहीं, क्योंकि उसने अमृत पी लिया था। इसके बाद से ही राहु सूर्य और चंद्र को शत्रु मानने लगा। राहु सूर्य और चंद्र को समय-समय पर ग्रसता है, इसे ग्रहण कहा जाता है।

ग्रहण से जुड़ा विज्ञान

विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी आ जाती है और ये तीनों ग्रह एक लाइन में होते हैं, उस समय चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और चंद्र लाल दिखने लगता है, इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्र आ जाता है, तब चंद्र की छाया पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर पड़ती है, जहां सूर्य नहीं दिखता है, इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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