नई दिल्ली -रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन विकसित कर ली है। अगले साल की शुरुआत में यह दवाएं रूसी नागरिकों को मुफ्त में लगाई जाएंगी। बताया जाता है कि यह वैक्सीन कैंसर मरीजों को नहीं लगाई जाएगी, बल्कि लोगों को कैंसर से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के महानिदेशक एंड्री काप्रिन ने इस बात की जानकारी दी।
हालांकि अभी इस वैक्सीन को लेकर कई सवाल हैं। मसलन यह किस तरह के कैंसर का इलाज करेगी और इसका नाम क्या होगा? गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने वैक्सीन को लेकर समाचार एजेंसी तास को जानकारी दी है। इसके मुताबिक वैक्सीन के प्री- क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। इस दौरान पता चला है कि यह वैक्सीन ट्यूमर के विकास और संभावित मेटास्टेसिस को दबा देता है। इससे पहले, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि रूसी वैज्ञानिक कैंसर के लिए टीके बनाने के करीब हैं। उन्होंने कहाकि यह वैक्सीन जल्द ही रोगियों के लिए उपलब्ध हो सकती है।
हालांकि नई वैक्सीन को लेकर स्पष्ट नहीं है कि यह किस तरह के कैंसर के इलाज में कारगर होगी। इसके अलावा इसका नाम भी अभी तक नहीं बताया गया है। कई अन्य देश भी इसी तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटिश सरकार ने पर्सनलाइज्ड कैंसर ट्रीटमेंट के लिए जर्मन स्थित बायोएनटेक कंपनी के साथ कांट्रैक्ट साइन किया है।
क्या AI का किया गया इस्तेमाल?
इससे पहले, गिंट्सबर्ग ने कहा था कि आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क के इस्तेमाल से पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन बनाने के लिए जरूरी गणना का समय एक घंटे से भी कम हो सकती है। फार्मास्युटिकल कंपनियां मॉडर्ना और मर्क एंड कंपनी एक प्रयोगात्मक कैंसर वैक्सीन बना रही हैं। स्टडी के मुताबिक तीन साल तक इस वैक्सीन के इलाज से मेलेनोमा नाम की खतरनाक स्किन डिजीज से मरने की संभावना आधी रह जाती है।