नई दिल्ली- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में रिकार्ड 18.48 गीगावाट की बढ़ोतरी की है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के डाटा के अनुसार, इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 21 प्रतिशत की वृद्धि रही है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 15.27 गीगावाट की वृद्धि हुई थी।
बढ़ानी होगी क्षमता
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को अगले छह वर्षों के दौरान सालाना कम से कम 50 गीगावाट क्षमता बढ़ानी होगी। डाटा के अनुसार, 31 मार्च 2024 को भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 143.64 गीगावाट हो गई है।
जल विद्युत क्षमता नहीं है शामिल
इसमें 47 गीगावाट की जल विद्युत क्षमता शामिल नहीं है। हाल ही में एक साक्षात्कार में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि हम समय से पहले 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तैयार करने के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
आंकड़ों से पता चला कि 12.78GW की सौर स्थापनाओं से 2023-24 में 15.27 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि हुई, इसके बाद 2.27 GW पवन ऊर्जा हुई। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के बीच कुल सौर स्थापित क्षमता 81.81 गीगावॉट पर चार्ट में सबसे ऊपर है, इसके बाद लगभग 46 गीगावॉट पवन ऊर्जा, 9.43 गीगावॉट बायोमास सह-उत्पादन और 5 गीगावॉट लघु पनबिजली (प्रत्येक 25 मेगावाट क्षमता तक) है।राज्यों में गुजरात और राजस्थान में लगभग 27 गीगावॉट की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, इसके बाद तमिलनाडु में लगभग 22 गीगावॉट, कर्नाटक में लगभग 21 गीगावॉट और महाराष्ट्र में लगभग 17 गीगावॉट है। हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने लगभग 11 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की है।