नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह फैसला एमपीसी के सदस्यों ने 4:2 के बहुमत से लिया है। रेपो में फरवरी 2023 से कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार केंद्रीय बैंक की पॉलिसी का लोगों के जीवन पर असर पड़ता है। आरबीआई का पहला काम महंगाई को कंट्रोल करना है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25% और एमएसएफ दर 6.75% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।
चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% किया
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देने वाले संकेतक समाप्त हो गए हैं। दास के अनुसार,आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं।
एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रबी उत्पादन से राहत मिलेगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर दास के अनुसार बैंकों, एनबीएफसी के वित्तीय मापदंड मजबूत बने हुए हैं। वित्तीय क्षेत्र की सेहत सर्वोत्तम स्तर पर है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2025 में टिकाऊ स्तर पर रहेगा। दास के अनुसार, भारतीय रुपया उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं वाले अपने समकक्षों की तुलना में कम अस्थिर रहा है। आरबीआई विनियमित संस्थाओं पर केवल उन मामलों में व्यावसायिक प्रतिबंध लगाता है जहां पर्याप्त सुधारात्मक कार्रवाई दिखाई नहीं देती।
एमपीसी में लिए गए फैसलों का पूरा हाल यहां जानें
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को लगातार 11वीं बार नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया, जबकि पहले 7.2 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निम्नतम स्तर 5.4 प्रतिशत पर आने के बावजूद ब्याज दर पर यथास्थिति बनाए रखी, जबकि आरबीआई ने स्वयं 7 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। पिछले वर्ष अप्रैल में लगातार छह बार ब्याज दरों में वृद्धि के बाद ब्याज दरों में वृद्धि चक्र को रोक दिया गया था, जो मई 2022 से अब तक कुल मिलाकर 250 आधार अंक हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, जबकि नीतिगत रुख को तटस्थ रखा है।
एमपीसी के फैसले का आपकी ईएमआई पर क्या असर पड़ेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा गया है। इस तरह बैंकों की ओर से आपकी लोन की ईएमआई में बदलाव की कोई संभावना नहीं हैं। इसलिए न आपको ब्याज दरों पर कोई राहत मिलने वाली है न ही कोई भार बढ़ने वाला है। आप जितनी ईएमआई चुका रहे थे, फिलहाल आपको उतनी ईएमआई की चुकानी पड़ेगी।
सीआरआर घटाकर 4% किया गया
आरबीआई ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में कटौती की है। आरबीआई के इस फैसले से सीधे तौर पर बैंकों को लोन देने में आसानी होगी। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को घटाकर 4% कर दिया है, जो आरबीआई के तटस्थ नीति रुख को दिखाता है।