लिगो इंडिया– केंद्र सरकार ने लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेब ऑब्जर्वेटरी-इंडिया (लिगो इंडिया) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को 2600 करोड़ रुपये की लागत से लिगो इंडिया की स्थापना किए जाने पर मुहर लगाई।
परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस बारे में जारी एक बयान में कहा, ब्रह्मांड की बेहतर समझ और न्यूट्रॉन सितारों व ब्लैक होल्स जैसी खगोलीय अवधारणाओं के अध्ययय के लिए गुरुत्वाकर्षी तरंगों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इन तरंगों को तलाशने और उनके स्रोत का पता लगाने के लिए कम से कम तीन वेधशालाओं की जरूरत होती है। दो पहले से अमेरिका में स्थापित हैं। ऐसी तीसरी वेधशाला भारत में बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मार्च, 2016 में अमेरिका के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे।
परमाणु ऊर्जा विभाग करेगा संचालित
लिगो इंडिया को संचालन परमाणु ऊर्जा विभाग करेगा। इसके निर्माण और संचालन में इस विभाग की तीन संस्थाएं और यूजीसी की एक स्वायत्त बॉडी की हिस्सेदारी होगी।
महाराष्ट्र के हिंगोली में होगा निर्माण
परियोजना के लिए महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में 174 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है। परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी भी मिल चुकी है।केंद्र सरकार ने वेधशाला के निर्माण की करीब 2600 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी है। अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रभारी राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह जानकारी दी। सिंह ने कहा कि कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष विभाग की भूमिका, निजी क्षेत्र की भागीदारी, इसरो के मिशनों के विस्तार तथा शोध, अकादमिक, स्टार्ट अप्स एवं उद्योगों की अधिक सहभागिता को सुनिश्चित करना है। राज्य मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष एवं सौरमंडल की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए विश्व में दो अत्याधुनिक बधशालाएं अमेरिका में है।