700 साल बाद रक्षाबंधन पर पंच महायोग,जाने किस मुहूर्त में बांध सकेंगे राखी

देश में रक्षाबंधन 30 की रात और 31 की सुबह मना सकते हैं। इसमें भी सभी जानकारों ने अपनी ज्योतिषीय गणना में शुभ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग तर्क दिया है। इस साल भी मतभेद बना हुआ है। ये त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा पर मनाते हैं, लेकिन इस बार पूर्णिमा 30 और 31 अगस्त, दोनों ही तारीखों में रहेगी।

30 अगस्त को भद्रा सुबह 10.05 से शुरू होकर रात 8.58 पर खत्म होगी। भद्रा खत्म होने के बाद रक्षाबंधन करना चाहिए।लोक परंपरा और अलग-अलग मत के चलते अगले दिन सुबह 7.37 तक पूर्णिमा तिथि के दौरान भी रक्षाबंधन किया जा सकता है।ज्योतिष ग्रंथों में कहीं नहीं लिखा कि भद्रा पुच्छ में रक्षाबंधन करें, इसलिए जब भद्रा काल पूरी तरह खत्म हो जाए तभी राखी बांधनी चाहिए। इस तरह 30 अगस्त की रात 8.58 से 31 की सुबह 7.37 तक रक्षाबंधन किया जा सकता है।

रक्षाबंधन कब मनाएं?

30 और 31 अगस्त, दोनों दिन रक्षाबंधन मना सकते हैं। पूर्णिमा तिथि की गड़बड़ी के चलते तारीखों से तालमेल नहीं बैठ रहा है, इसलिए ऐसी स्थिति बन रही है। रात 9 बजे बाद, क्योंकि पूरे दिन भद्रा काल रहेगा, जो तकरीबन रात 8.58 पर खत्म होगा। इस कारण शुद्ध मुहूर्त के तौर पर रात 9 बजे के बाद ही रक्षाबंधन किया जाना चाहिए। ज्योतिष ग्रंथों में लिखा है जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म नहीं होता तब तक रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए।

31 अगस्त को केवल सुबह 7.37 तक रक्षाबंधन पूर्णिमा तिथि में ही मनाया जाता है। जो कि गुरुवार को सुबह करीब साढ़े सात बजे तक ही रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। ग्रंथों में प्रतिपदा तिथि में रक्षाबंधन करने की मनाही है।

लगभग हर दूसरे साल राखी पर ही ऐसी स्थिति क्यों बनती हैं?

रक्षाबंधन, सावन महीने की पूर्णिमा को ही मनाते हैं, लेकिन पूर्णिमा तिथि के शुरुआती आधा हिस्सा यानी करीब दस घंटे तक भद्रा काल होता है। जो कि रक्षाबंधन के लिए ठीक नहीं माना जाता है। लगभग हर दूसरे साल पूर्णिमा तिथि और अंग्रेजी तारीखों में तालमेल नहीं होने के कारण ऐसा हो जाता है।

भद्रा क्या है ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की कन्या है। जो कि सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न हुई है। इस तरह भद्रा, शनि की सगी बहन है। ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार पूर्णिमा तिथि का शुरुआती आधा हिस्सा भद्रा काल होता है। सिर्फ रक्षाबंधन करने की मनाही है। 30 अगस्त को पूरे दिन होने वाले व्रत, स्नान-दान और खरीदारी करने में भद्रा दोष नहीं लगेगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों से बन रहे शुभ योगों में किए जाने वाले कामों का शुभ फल और बढ़ जाएगा।

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